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निजी औद्योगिक क्षेत्र बनेगा

राज्य कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में नये उद्योगों के लिए बड़ा फैसला हुआ. उद्योग स्थापित करने में जमीन की अड़चन दूर करने के लिए निजी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना का निर्णय लिया गया. साथ ही कैबिनेट ने नियोजित शिक्षकों के वेतन में तीन हजार की वृद्धि को भी मंजूरी दे दी. पटना: राज्य […]

राज्य कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में नये उद्योगों के लिए बड़ा फैसला हुआ. उद्योग स्थापित करने में जमीन की अड़चन दूर करने के लिए निजी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना का निर्णय लिया गया. साथ ही कैबिनेट ने नियोजित शिक्षकों के वेतन में तीन हजार की वृद्धि को भी मंजूरी दे दी.

पटना: राज्य सरकार ने बियाडा के तर्ज पर निजी औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने का फैसला होगा. मंत्रिमंडल ने मंगलवार को इसको मंजूरी दी. सरकारी स्तर पर उद्योग के लिए भूमि उपलब्ध कराने में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

उद्यमियों का समूह निजी औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करेगा. इसके लिए उन्हें स्पेशल प्रपोज वैकल (एसपीवी) का गठन करना होगा. जमीन का मालिकाना हक इसी एसपीवी को स्थानांतरित किया जायेगा. इसके लिए सबसे पहले समूह को राज्य सरकार से सैद्धांतिक अनुमति लेनी होगी. एक निजी औद्योगिक क्षेत्र में कम-से-कम 25 एकड़ भूमि होगी. इसमें 20 अलग-अलग इकाइयों को कम-से-कम 30 साल के लिए भूमि लीज पर एसपीवी द्वारा आवंटित किया जायेगा. एक क्षेत्र में कम-से-कम 10 इकाइयां होंगी. एसपीवी का गठन कैसे होगा, इसके लिए सरकार एक नियमावली बनायेगी. बिहार उद्योग संघ के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी.

सामान्य सुविधा केंद्र
मंत्रिमंडल ने सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से जुड़े उद्यमियों, कारीगरों को राष्ट्रीय बाजार की मांग व उसके अनुरूप तकनीकी सुविधा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु उद्योग कलस्टर विकास योजना के तहत ‘सामान्य सुविधा केंद्र’ की स्थापना करने को मंजूरी दी है. इसकी स्थापना पर सरकार व एसपीवी का अंशदान क्रमश: 90 फीसदी (अधिकतम 10 करोड़) व 10 फीसदी होगा. विशेष परिस्थिति में कलस्टर के सदस्य गरीबी रेखा से नीचे के हो, तो राज्य सरकार के अनुमोदन से सीएफसी के स्थापना के लिए 100 फीसदी तक अनुदान दिया जा सकेगा. योजना का संचालन, पर्यवेक्षण एवं मॉनीटरिंग जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति व राज्य स्तर पर उद्योग निदेशक की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय समिति का गठन किया जायेगा. 2.50 करोड़ रुपये तक की परियोजना पर जिलास्तरीय समिति और इससे अधिक की परियोजना पर राज्य स्तरीय समिति द्वारा निर्णय लिया जायेगा.

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