पटना: शहीदों की शहादत पर राजनीति करनेवाली पार्टियों की कार्यशैली का नमूना सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में दिखा. करीब साढ़े 11 साल पहले आतंकवादी हमला में मारे गये लोगों को आज तक बिहार सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिल सका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष जब यह मामला आया, तो उन्होंने अधिकारियों को इस पर अविलंब कार्रवाई का निर्देश दिया.
फरियादी राजदेव प्रसाद निवासी दिघवाड़ा, छपरा सेना से 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे. फिलहाल, पटना के बाइपास थाने में सैप जवान के रूप में काम कर रहे हैं. छोटी बेटी कुमारी सूर्या के साथ जनता दरबार में आये राजदेव ने बताया कि 2002 में वह भारत-पाक सीमा पर तैनात थे. उनका परिवार जम्मू के पठानकोट स्थित आर्मी क्वार्टर में रहता था.
11 मई, 2002 को हुए आतंकवादी हमले में उनकी मां अवलोधन देवी व बड़ी बेटी कुमारी प्रिया की मौत हो गयी थी. वहीं, चार साल की छोटी बेटी सूर्या गोली लगने से 80 प्रतिशत तक विकलांग हो गयी. उस समय तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार ने दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी. 11 साल गुजरने के बाद भी वह राशि नहीं मिली.