मुजफ्फरपुर: बिना सरकारी लाइसेंस के जिले के ढाबा व लाइन होटलों में शराब पीने व पिलाने की उत्तम व्यवस्था है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक के छोटे से लेकर बड़े ढाबों व होटलों में सुबह से देर रात तक शराब बेचे जा रहे हैं. इसमें समाहरणालय व थाने के इर्द-गिर्द के कई बड़े ढाबे व होटल भी शामिल हैं. यहां खाना के साथ शराब पिलाने की भी व्यवस्था है.
इसकी सूचना पुलिस व कई वरीय अधिकारियों को है, लेकिन सब कुछ जानते हुए अनजान बने हैं. इसके कारण हर माह राज्य सरकार को लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है. सबसे ज्यादा धंधा एनएच 77, 57 व 28 के आसपास के ढाबों व होटलों में हो रहा है.
ऐसे लगायी जा रही चपत
शहरी इलाके के बार व रेस्तरां को बतौर लाइसेंस शुल्क सलाना 16 लाख रुपये सरकार को देने होते हैं. इसके अलावा नगर पंचायत क्षेत्र में इसके लिये 12 लाख व ग्रामीण इलाकों के एनएच किनारे या चौक व चौराहों पर लाइसेंस लेने के लिये आठ लाख रुपये जमा करने होते हैं. शहर में सिर्फ दो लाइसेंस धारी रेस्तरां हैं. शेष स्थानों पर बिना लाइसेंस यह सुविधा दी जाती है.
पैक के दर से मिलती है शराब
शहरी क्षेत्र व एनएच किनारे के कई ऐसे बड़े होटल व रेस्टोरेंट है, जहां लजीज व्यंजन के साथ पीने के लिए विदेशी शराब व बियर के सभी ब्रांड आसानी से मिल जाते हैं. यहां विदेशी शराब के महंगे ब्रांड पैक के हिसाब से मिलती है. जबकि, चालू वित्तीय वर्ष में जिले में मुजफ्फरपुर क्लब व मोतीझील स्थित एक बियर बार के अलावा मात्र दो प्रमुख होटलों को खाना के साथ पिलाने का भी लाइसेंस प्राप्त है. पिछले वित्तीय वर्ष में जिले में कुल मिला कर 13 बार व रेस्तरां को शराब बेचने व पिलाने का लाइसेंस था. लाइसेंस शुल्क में दो से तीन गुना हुई वृद्धि के बाद मात्र दो ही होटलों ने आवेदन किया था.