पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि कौशल विकास के लिए प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र खोले जायेंगे. उन्होंने बताया कि तीन साल में सूबे के एक लाख आठ हजार युवाओं का कौशल विकास किया जायेगा. राज्य में 41 संस्थाओं के माध्यम से सभी 38 जिलों में कौशल विकास का काम किया जायेगा. वे […]
पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि कौशल विकास के लिए प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र खोले जायेंगे. उन्होंने बताया कि तीन साल में सूबे के एक लाख आठ हजार युवाओं का कौशल विकास किया जायेगा.
राज्य में 41 संस्थाओं के माध्यम से सभी 38 जिलों में कौशल विकास का काम किया जायेगा. वे सोमवार को जीविका के सहयोग से चलाये जानेवाले प्रशिक्षण केंद्रों का शुभारंभ कर रहे थे. उन्होंने इस मौके पर जीविका के नये वेब पोर्टल का लोकार्पण किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी लोग बिहार से बाहर काम करने के लिए दूसरे राज्यों के बड़े शहरों में जाते हैं, उनके लिए माइग्रेशन सपोर्ट सेंटर की स्थापना की जायेगी.
बिहार के युवा-युवतियों को प्रशिक्षण व सर्टिफिकेशन के अभाव में दूसरे राज्यों में शोषण होता है. इसके बचाव के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी. अगर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा अपने राज्य या घर पर ही काम करें, तो और बेहतर होगा. अभी जिन युवाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उनको प्रशिक्षण देनेवाली एजेंसी को रोजगार देना होगा. सरकार इसकी मॉनीटरिंग करेगी.
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र ने बताया कि राज्य में साढ़े तीन करोड़ युवा 18-35 वर्ष आयु के हैं. इनमें से महज तीन फीसदी को ही प्रशिक्षण मिला है. राज्य में मानव विकास मिशन की स्थापना की गयी है, जिसके माध्यम से विभिन्न विभागों द्वारा राज्य के एक करोड़ युवा-युवतियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उन्होंने बताया कि वेब पोर्टल पर कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करा सकता है. इसके माध्यम से ग्रामीण उत्पादों की बिक्री भी हो सकती है. इस मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव एसएम राजू व जीविका की सीइओ एन विजयलक्ष्मी ने बताया कि जीविका के माध्यम से चलाये जानेवाले प्रशिक्षण में बीपीएल परिवार, 45 दिनों तक मनरेगा में काम करनेवाले मजदूरों के बच्चे को प्राथमिकता दी जायेगी. इसमें एससी-एसटी के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित है जबकि अल्पसंख्यक बच्चों के लिए 15 फीसदी, महिलाओं के लिए 33 फीसदी व विकलांगों को तीन फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. प्रशिक्षण केंद्रों पर तीन, छह और नौ माह का प्रशिक्षण दिया जायेगा. क्लास रूम में सीसीटीवी कैमरा और उपस्थिति को बायोमीटरिक के माध्यम से मॉनीटर किया जायेगा.