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मुसलिम महिलाओं को मिले शिक्षा व स्वतंत्रता : मांझी

पटना: मुसलिम परिवारों की स्थिति निराशाजनक है. महिलाओं को शिक्षा और स्वतंत्रता देने में कोताही हुई है. इस समाज की महिलाओं को धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता अन्य समाज की महिलाओं की तरह नहीं दी गयी. ये बातें मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में आद्री द्वारा ‘मुसलिम समाज में साक्षरता की […]

पटना: मुसलिम परिवारों की स्थिति निराशाजनक है. महिलाओं को शिक्षा और स्वतंत्रता देने में कोताही हुई है. इस समाज की महिलाओं को धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता अन्य समाज की महिलाओं की तरह नहीं दी गयी. ये बातें मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में आद्री द्वारा ‘मुसलिम समाज में साक्षरता की रणनीति’ पर आयोजित सेमिनार में कहीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों में महिलाएं ही सर्वेसर्वा होती हैं.

उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. जनसंख्या पर ध्यान नहीं भी देते हैं, तो बच्चों को कुशल बना सकते हैं. अधिक-से-अधिक महिलाओं व बच्चों को शिक्षित करें. सरकारी नौकरी ही नहीं, सेल्फ नियोजन की ओर भी जायें, तो आप किसी से उपेक्षित नहीं रहेंगे. सीएम ने कहा कि जिस प्रकार 20 सूत्री कार्यक्रम चलते थे, उसी प्रकार अल्पसंख्यकों के लिए 15 सूत्री कार्यक्रम में और तेजी लायी जायेगी.

अल्पसंख्यक बहुल 75 प्रखंडों में स्कूल-अस्पताल खोलने के लिए सर्वे कराया जा रहा है और यह काम आद्री को दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद संबंधित स्थान पर स्कूल व अस्पताल खोला जायेगा. अल्पसंख्यकों का विकास हो इसके लिए 24 करोड़ की लागत से 75 अल्पसंख्यक बहुल प्रखंडों में स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. इमारत-ए-शरिया, फुलवारीशरीफ के नाजिम मौलाना अनुसर्रहमान कासमी ने कहा कि महिला व बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी साक्षर व शिक्षित करने की आवश्यकता है.

इसके लिए अल्पसंख्यक समाज को आगे आना होगा. उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, तभी इस समाज को बदला जा सकता है. अल्पसंख्यक समाज का पढ़ा-लिखा हर आदमी 10-10 लोगों को साक्षर करे, तो यह समाज भी साक्षर हो जायेगा. डॉ एए हई ने कहा कि प्रखंड स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का गठन होना चाहिए. इससे विभिन्न योजनाओं में फायदा मिलेगा. मुसलिम परिवारों को सोचना होगा कि आज शिक्षा बहुत जरूरी है. अल्पसंख्यकों के लिए और स्कूल खुलें. सेमिनार में गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, गालिब खान, हसन वारिस, खुर्शीद आलम मौजूद थे. उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र का कार्यक्रम हुआ.

लिटरेसी की बनानी है रणनीति

आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि हमने बैकवर्ड एजुकेशन पर ध्यान नहीं दिया था. हम हायर एजुकेशन तक सीमित होकर रह गये थे. हमें अल्पसंख्यकों को शिक्षित करना है. लिटरेसी की रणनीति बनानी है. मुसलिम लड़कियों को जागरूक करना है. लोक शिक्षा केंद्र से शिक्षा कैसे होगी, इसकी रणनीति तैयार करनी है.

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