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पटना गांधी मैदान: अफवाह ने ली 33 लोगों की जान, हादसे की जांच शुरू केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

गांधी मैदान में रावणवध देखने आये लोग अचानक बदइंतजामी और अफवाह के दुष्चक्र में ऐसे फंसे की दशहरे का उत्साह उनकी जिंदगी पर भारी पड़ गया. शुक्रवार की देर शाम मैदान के बाहर निकल रही भीड़ में भगदड़ मच गयी, जिससे 33 लोगों की मौत हो गयी. 32 लोग घायल हो गये. मृतकों में दो […]

गांधी मैदान में रावणवध देखने आये लोग अचानक बदइंतजामी और अफवाह के दुष्चक्र में ऐसे फंसे की दशहरे का उत्साह उनकी जिंदगी पर भारी पड़ गया. शुक्रवार की देर शाम मैदान के बाहर निकल रही भीड़ में भगदड़ मच गयी, जिससे 33 लोगों की मौत हो गयी. 32 लोग घायल हो गये. मृतकों में दो को छोड़ कर बाकी महिलाएं और बच्चे हैं. घायलों में पांच की हालत गंभीर है.

पोस्टमार्टम के बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया गया. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा दिया, जबकि प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख का मुआवजा देने की घोषणा की गयी है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य सरकार से घटना की रिपोर्ट मांगी है. इधर, शनिवार की सुबह एडीजी व गृह सचिव ने घटना की जांच शुरू कर दी.

देर रात पुलिस ने दर्ज करायी प्राथमिकी

पटना: पटना में गांधी मैदान के बाहर भगदड़ में 33 लोगों की हुई मौत के मामले में पुलिस ने शनिवार की देर रात अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. गांधी मैदान थाने में दर्ज की गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि भीड़ के बेकाबू होने की मूल वजह बिजली तार गिरने को बताया गया है. यह जानकारी सीनियर एसपी मनु महराज ने दी. पुलिस ने घटना के पीड़ितों व कई चश्मदीदों के बयान के आधार पर यह प्राथमिकी दायर की है. पुलिस इस हादसे के पीछे साजिश के बिंदु को सामने रख कर छानबीन कर रही है. हालांकि दूसरी ओर हादसे को लेकर पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

मौके पर भीड़ को नियंत्रित करने, उसे मैदान से बाहर निकालने की कोई योजना नहीं होना भी हादसे की प्रमुख वजहों में से एक माना जा रहा है.

इधर, सरकार ने प्रशासनिक जांच की घोषणा कर दी और जांच अधिकारी गृह सचिव आमिर सुबहानी व एडीजी मुख्यालय गुप्तेशवर पांडेय ने शनिवार को अपनी तहकीकात शुरू कर दी. दोनों अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया और प्रत्यक्षदर्शियों से आरंभिक पूछताछ की. रविवार को दोनों अधिकारी गांधी मैदान की सुरक्षा में तैनात पदाधिकारियों की गवाही दर्ज करेंगे. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने देर रात कहा कि तीन से चार दिनों में जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गांधी मैदान के अंदर करीब दो लाख की भीड़ और निकास का प्रबंध नहीं होने के कारण भगदड़ की स्थिति बन गयी और एक पर एक 32 लोग गिरते गये, भीड़ उन्हें रौंदते निकल गयी. एक बच्चे की मौत पीएमसीएच में इलाज के दौरान हो गयी. घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रावणवध का कार्यक्रम खत्म होते ही गांधी मैदान के पश्चिमी द्वार से मुख्यमंत्री का काफिला निकलनेवाला था. मुख्यमंत्री को फ्रेजर रोड होते हुए बाइपास के रास्ते गया के लिए प्रस्थान करना था.

मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर गांधी मैदान के पश्चिमी छोर पर डय़ूटी में तैनात पुलिसकर्मियों ने करीब 15 मिनट तक फ्रेजर रोड से वाहनों का परिचालन बंद करवा दिया और यहां तक कि पैदल चलनेवाले लोगों को भी फ्रेजर रोड में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी. ऐसे में पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए होटल मौर्या के पास जेपी गोलंबर पर हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा. उधर, एक्जिबिशन रोड के रामगुलाम चौक से लेकर होटल मौर्या तक सड़क पर भारी भीड़ जमा थी. वाहनों की कतार तो थी ही. उधर, गांधी मैदान के दक्षिणी छोर स्थित मुख्य प्रवेश द्वार पर ताला लटके रहने के कारण छोटे से गेट हजारों की भीड़ जल्दी से बाहर निकलने की आपाधापी में थी. ऐसे में गांधी मैदान के अंदर लगे सभी हाइमास्ट लाइट के बंद होने के कारण घुप्प अंधेरा पसरा था. इसी बीच अफवाह फैली कि सड़क पर बिजली का तार गिर गया है.

फिर क्या था, अनियंत्रित भीड़ एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे निकलने लगी. इस भीड़ की जद में जो भी आया वह मौत की आगोश में चला गया. क्या बच्चे, क्या महिलाएं और क्या युवक. किसी ने यह नहीं देखा कि मेरे नीचे एक मानव शरीर दबा है. गौरतलब है कि भगदड़ मचने से 33 लोगों की मौत ही गयी, जबकि कुल 32 लोग घायल हैं. घायलों में पांच की स्थिति गंभीर है. मरनेवालों में 21 महिलाएं, 10 बच्चे और दो पुरुष हैं. 10 मृत बच्चों में सात लड़कियां हैं. अब तक एक मृतक की पहचान नहीं हो पायी है. देर रात पोस्टमार्टम करने के बाद शनिवार की सुबह परिजनों को शव सौंप दिये गये. सभी घायलों का पीएमसीएच में नि:शुल्क इलाज चल रहा है.

गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने 33 लोगों के मरने की पुष्टि की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से घटना की जानकारी ली. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है. रावणवध कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने गांव गया के महकार के लिए निकल गये. जब उन्हें घटना की सूचना मिली, तो वह तुरंत पटना रवाना हो गये. शुक्रवार की देर रात एक बज कर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पीएमसीएच पहुंचे और घायलों से मुलाकात की.

इधर, राज्य सरकार की ओर से अब तक 30 मृतकों के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये का चेक दे दिया गया है, जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपये के मुआवजे का वितरण शुरू किया गया. वहीं प्रधानमंत्री राहत कोष से भी सभी मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रलय ने इस संबंध में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है. घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से फोन पर बात की और घटना पर दुख व्यक्त किया.

डीएम ने कहा, दो लाख की भीड़ थी : पटना के डीएम मनीष कुमार वर्मा और एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि शुक्रवार को विजयदशमी पर गांधी मैदान में रावणवध का कार्यक्रम देखने के लिए करीब दो लाख लोग जुटे थे. भीड़ में सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की थी. रावणवध का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद गांधी मैदान से बाहर निकलने के क्रम में यह हादसा हुआ. हालांकि, सुरक्षा के लिए गांधी मैदान में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती गयी थी, लेकिन वहां तैनात पुलिसकर्मी महज मूकदर्शक बने रहे. लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ कर गांधी मैदान से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे. इधर, शनिवार को भी दिन भर बड़ी संख्या में लोग अपने परिजनों को तलाशते के लिए पीएमसीएच परिसर का चक्कर लगाते रहे. अब भी कई लोग गुम हैं. सरकार ने हेल्प लाइन नंबर जारी किया है.

2012 में छठ घाट पर हुआ था इसी प्रकार का हादसा : वर्ष 2012 में छठ के दौरान भी पटना के अदालत घाट पर मची भगदड़ से 24 लोगों की जान चली गयी थी. उस घटना में भी मरनेवालों में सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की थी. राज्य सरकार ने उस घटना की जांच भी गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी से करायी थी, लेकिन जांच रिपोर्ट में किसी भी प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी को दोषी नहीं पाया गया.

ऐसे हुआ हादसा

रावणवध का कार्यक्रम के बाद सीएम को फ्रेजर रोड होते हुए बाइपास के रास्ते गया जाना था. उनका काफिला गांधी मैदान के पश्चिमी गेट से निकलना था, इसलिए पुलिसकर्मियों ने करीब 15 मिनट तक फ्रेजर रोड से परिचालन बंद करवा दिया.

ऐसे में पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए होटल मौर्या के पास जेपी गोलंबर पर हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा.

एक्जिबिशन रोड के रामगुलाम चौक से लेकर होटल मौर्या तक सड़क वाहनों व पैदल मेला घूमनेवालों की भीड़ से पहले से ही अटी पड़ी थी. गांधी मैदान के दक्षिणी मेन गेट बंद रहने के कारण छोटे गेट से ही भीड़ जल्दी से बाहर निकलने की आपाधापी में थी.

गांधी मैदान के अंदर लगे सभी हाइमास्ट लाइट के बंद होने के कारण अंधेरा भी पसरा था. इसी बीच अफवाह फैली कि सड़क पर बिजली का तार गिर गया है. इसके बाद अनियंत्रित भीड़ एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे निकलने लगी.

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