पटना: राजद सांसद पप्पू यादव ने शुक्रवार को आइएमए हॉल में भासा व आइएमए के साथ बैठक में कहा कि सरकार मुङो स्वास्थ्य मंत्री बना दे, तो मैं छह माह के भीतर बिहार की बिगड़ी चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर ले आऊंगा.
सरकारी अस्पतालों में जांच मशीन खराब होती है, तो उसके बनने में छह माह या एक साल तक लग जाता है, लेकिन वही मशीन प्राइवेट अस्पतालों में सुबह खराब होती है, तो शाम तक बन जाती है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के खेल में ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों व चिकित्सकों के पास पैसा जाता है और सरकार हर बात जानते हुए चिकित्सकों के इस खेल को रोकना नहीं चाहती है. सरकारी अस्पतालों में 90 प्रतिशत हड़ताल पीजी चिकित्सक करते हैं, लेकिन इसे रोकनेवाला कोई नहीं है. सीनियर डॉक्टर भी उनके पक्ष में होते हैं, क्योंकि वे पीजी डॉक्टरों से अपना क्लिनिक चलवाते हैं.
श्री यादव ने कहा कि हमने ऐसी कोई बात नहीं कही, जो किसी अच्छे चिकित्सक को खराब लगे. अगर हमारी कोई भी मांग नाजायज है, तो हम एक हजार बार चिकित्सकों से क्षमा मांगने को तैयार हैं. अगर आप चिकित्सक वादा करते हैं कि एनपीए लागू होने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे, तो हमारी जान रहे या जाये, बिहार में एनपीए लागू करा कर दम लेंगे. बैठक में कई बार वैचारिक रूप से मतभेद आने के कारण हंगामा भी हुआ. उन्होंने कहा कि बिहार में नर्सिग होम एक्ट जल्द लागू हो इसके लिए सरकार में अपनी बात को रखेंगे.
बैठक में डॉ नागेंद्र प्रसाद, डॉ संजीव रंजन सिंह, डॉ अखिलेश कुमार, डॉ राजेश, डॉ प्रभात, डॉ अशोक यादव, डॉ कुमार अनिल, डॉ रंजीत आदि मौजूद थे.
पप्पू की नजर में नरपिशाच डॉक्टर
– जो पेशा व अच्छे डॉक्टर को बदनाम करते हैं.
– पेट चीर पैसा मांगते हैं और मरे मरीज को वेंटिलेटर पर रख बिल बनाते हैं
– एक बच्चेदानी को बार-बार निकालते हैं
– साधारण बीमारी के लिए महंगी दवाएं व जांच लिखते हैं
– जिन्हें जरूरत नहीं होती, उन्हें भी आइसीयू में रखते हैं
– मरीजों को दवा दुकान व जांच सेंटर का नाम बताते हैं
– दवा कंपनी के पैसे से विदेश घूमते हैं
– फिजिशियन होकर भी करते हैं सजर्री
– सरकारी अस्पताल में रेफर करने के बदले निजी अस्पताल में भेजते हैं
– एंबुलेंस चालक की मदद से चलाते हैं निजी अस्पताल
– अस्पताल में मरीज को ठीक नहीं कर पाते, लेकिन क्लिनिक में ठीक कर देते हैं
– जूनियर से नर्सिग होम चलवाते हैं और अस्पताल से मरीजों को भगाते हैं.
भासा व आइएमए ने कहा
– बिहार के 90 प्रतिशत चिकित्सक पूरी ईमानदारी से काम करते हैं
– फर्जी चिकित्सकों को सरकार पकड़े, हम उनके साथ नहीं हैं
– बीपीएल कार्डधारियों को जांच व इलाज में रियायत दें डॉक्टर
– गरीब मरीजों का इलाज मुफ्त करें
– फर्जी डॉक्टरों व लैब को बंद कराने में डॉक्टर एसोसिएशन मदद करेगा
– सरकार नकली दवाओं के बाजार पर रोक लगाये इसके लिए काम हो
– चिकित्सक फीस कम करें
– चिकित्सक, रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट रसीद जरूर दें
बैठक के बाद सांसद पप्पू यादव ने चिकित्सकों से कुछ बिंदुओं पर काम करने को कहा. उन्होंने कहा कि अगर 13 अक्तूबर तक चिकित्सक इन बिंदुओं पर काम को करने लगेंगे, तो हम बस इसकी मॉनीटरिंग करेंगे, लेकिन 13 अक्तूबर तक चिकित्सक अपनी घोषणा के विपरीत काम करेंगे, तो हम पूरे बिहार में जन अदालत लगायेंगे और गांधी मैदान में आकर गरीबों की बात सुनेंगे.
– नर्सिग होम एक्ट के लिए सरकार के खिलाफ खड़ा हो चिकित्सक एसोसिएशन
– 99 प्रतिशत फर्जी पैथोलॉजिस्ट के खिलाफ चिकित्सक चलायें आंदोलन
– चिकित्सक अपने क्लिनिक के बाहर डिग्री व फीस को दीवार पर लगायें
– सात या 15 दिनों के भीतर फीस लेने का प्रचलन बंद हो
– आइसीयू के नाम पर मरीजों को नहीं लूटें
– डॉक्टर, पैथोलॉजिस्ट व रेडियोलॉजिस्ट पक्की रसीद दे
– फीस का मानक तय करें, ऐसा नहीं कि एमबीबीएस डॉक्टर 400 फीस लें
सांसद की बात को हम पूरी तरह से नकार नहीं सकते. कुछ चिकित्सकों के कारण चिकित्सा का नाम समाज में बदनाम हुआ है. लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी चिकित्सक सिर्फ पैसा कमाने में लगे हुए हैं. समाज के हर वर्ग में बदलाव आया है, इसलिए चिकित्सकों में भी बदलाव आया है. समाज में शिक्षा मिल रही है, लेकिन चरित्र निर्माण का काम नहीं होता है.
डॉ एसएन आर्या
चिकित्सक भय के माहौल में काम नहीं कर सकते हैं. सांसद द्वारा चिकित्सकों पर लगाये गये आरोप कुछ हद तक सही हैं, लेकिन वैसे लोग डॉक्टर नहीं हैं. उनको अगर सरकार पकड़ती है, तो हम कभी उनके पक्ष में नहीं आयेंगे. हमारा एसोसिएशन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने के लिए लड़ाई कर रहा है और आगे भी लड़ता रहेगा.
डॉ अजय कुमार, भासा महासचिव
चिकित्सकों को डरायें नहीं. चिकित्सकों की मजबूरियां भी देखनी होंगी. उनके साथ समाज में किस तरह का व्यवहार होता है. सरकार हमारी सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं करती है. नर्सिग होम एक्ट ऐसा बनाया गया है कि उसके लागू होने के बाद एक भी अस्पताल खुला नहीं रहेगा. सब बंद हो जायेंगे. अगर उसमें संशोधन कर लागू किया जाये, तो हम तैयार है.
डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, वरीय उपाध्यक्ष
पप्पू की नजर में नरपिशाच डॉक्टर
जो पेशा व अच्छे डॉक्टर को बदनाम करते हैं. त्न पेट चीर पैसा मांगते हैं और मरे मरीज को वेंटिलेटर पर रख बिल बनाते हैंत्न एक बच्चेदानी को बार-बार निकालते हैं त्न साधारण बीमारी के लिए महंगी दवाएं व जांच लिखते हैं त्न जिन्हें जरूरत नहीं होती, उन्हें भी आइसीयू में रखते हैं त्न मरीजों को दवा दुकान व जांच सेंटर का नाम बताते हैं त्न दवा कंपनी के पैसे से विदेश घूमते हैं त्नफिजिशियन होकर भी करते हैं सजर्री त्न सरकारी अस्पताल में रेफर करने के बदले निजी अस्पताल में भेजते हैं त्नएंबुलेंस चालक की मदद से चलाते हैं निजी अस्पताल त्नअस्पताल में मरीज को ठीक नहीं कर पाते, लेकिन क्लिनिक में ठीक कर देते हैं
– जूनियर से नर्सिग होम चलवाते हैं और अस्पताल से मरीजों को भगाते हैं.