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केंद्र के निर्णय से बिहार सरकार की बढ़ी परेशानी, बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत राशि घटायी

पटना: बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए केंद्र द्वारा नयी दर से राशि देने का प्रावधान किये जाने से बिहार सरकार की परेशानी बढ़ गयी है. केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्यों को प्रति किमी 60 हजार रुपये देने का प्रावधान किया है. जिलों को जोड़नेवाली व राजकीय सड़कों के लिए यह दर […]

पटना: बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए केंद्र द्वारा नयी दर से राशि देने का प्रावधान किये जाने से बिहार सरकार की परेशानी बढ़ गयी है. केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्यों को प्रति किमी 60 हजार रुपये देने का प्रावधान किया है. जिलों को जोड़नेवाली व राजकीय सड़कों के लिए यह दर एक लाख रुपये प्रति किमी निर्धारित की गयी है.

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि अब तक सड़क मरम्मत के लिए वास्तविक व्यय केंद्र सरकार भुगतान करती रही है. राज्य को यह राशि आपदा रिस्पांस कोष से मिलने का प्रावधान है. केंद्र सरकार द्वारा नयी दर तय करने से भौंचक अधिकारी ने कहा कि केंद्र द्वारा निर्धारित राशि से सड़कों के दसवें हिस्से की भी मरम्मत नहीं होने वाली है. राज्य के 20 जिलों के 697 पंचायतों के बाढ़ से तबाह होने की जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि 1728 गांव बाढ़ के कारण तबाह हो गये हैं. इन गांवों की सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. अधिकारी ने बताया कि अब भी 967 गांव बाढ़ की पानी से पूरी तरह घिरे हैं. इससे 20 जिलों के गांवों की सड़कों की हाल को समझा जा सकता है.

अधिकारी ने बताया कि सड़कों को यातायात लायक बनाने के लिए कम-से-कम सात लाख से दस लाख रुपये प्रति किमी का प्रावधान करना होगा. अन्यथा राज्य सरकार को अपने कोष से मरम्मत करानी होगी. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने स्वीकार किया कि केंद्र से कम राशि तय की गयी है. इसके लिए एक माह पहले केंद्र को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि मरम्मत के लिए आपदा रिस्पांस कोष से राज्य को धन मिलता है. इस कोष में केंद्र का 75 प्रतिशत और राज्य का 25 प्रतिशत हिस्सा होता है.

नीतीश ने खो दिया केंद्र से सहयोग का मौका : मोदी
पटना. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के तेज विकास के लिए राज्य में ऐसी सरकार की आवश्यकता है, जो केंद्र से टकराव नहीं, बल्कि सहयोग का रास्ता अपनाये. फेसबुक पर अपने ताजा पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार और राज्य के बीच सहयोग का मौका खो दिया है. भाजपा से नीतीश कुमार का संबंध नहीं टूटता, तो बिहार में विकास की लय जारी रहती. मोदी ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार ने पीएम मोदी का सामना करने से बचने के लिए मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया, जबकि चारा घोटाले के आरोपित लालू प्रसाद और हरियाणा के शिक्षक नियुक्ति घोटाले के आरोपित व जेल में बंद ओम प्रकाश चौटाला से मिलने में उन्हें कोई हिचक नहीं है. मोदी ने कहा है कि बिहार का दुर्भाग्य रहा है कि राज्य में 15 साल में ऐसी सरकारें बनीं, जो केंद्र से टकराती रही. अब, जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी, तो नीतीश कुमार ने बिहार की जदयू की सरकार का रिमोट कंट्रोल यूपीए के हाथ में सौंप दिया. इसका ही नतीजा है कि राज्य सरकार कांग्रेस और लालू के दबाव में केंद्र से टकराव के रास्ते चल रही है. राज्य सरकार केंद्र की योजनाओं को लागू करने में विफल हो रही है और केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगा रही है. राज्य में विकास के लिए केंद्र और राज्य में एक ही गंठबंधन की सरकार जरूरी है.

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