पटना: पटना के राजेन्द्र नगर निवासी डॉ संजीव धारी सिन्हा गृहयुद्ध से अशांत लीबिया के त्रिपोली में फंसे हुए हैं. उनके पास न रकम हैं और न ही खाने के लिए राशन के सामान. पानी मुश्किल से मिल रहा है. बिजली दिन-रात में एक घंटे के लिए आती है. वे पूरी तरह अपने मकान मालिक की कृपा पर जी रहे हैं. त्रिपोली यूनिवर्सिटी में इंगलिश के
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजीव धारी सिन्हा ने फेसबुक और मोबाइल कॉल के जरिये भारत में अपनी बहन और अपने कुछ मित्रों को अपनी व्यथा बतायी है. मैसेज और कॉल के अंत में वह एक ही गुहार लगाते हैं : सेव मी, आय एम इन डेंजर जोन.
मकान मालिक की कृपा पर जिंदा हूं
डॉ सिन्हा ने मुंबई निवासी अपनी बहन रूबी सिन्हा को हाल ही में फोन कर अपनी दयनीय स्थिति के बारे में बताया. उनके मुताबिक, मकान मालिक की कृपा पर वह जिंदा हैं. पिछले महीने का किराया भी उन्होंने नहीं दिया है. खाने-पीने का सामान भी वह शेयर कर रहे हैं. राशन का दुकान जैसे ही खुलता है, लोग जान जोखिम में डाल कर एक ब्रेड के पैकेट के लिए आपस में जद्दोजहद करने लगते हैं. बैंक बंद हैं. टैक्सी नहीं है. पेट्रोल नहीं है.कोई भी सामान दोगुने दाम पर मिलता है. कब किस पर गोली चल जायेगी, कोई नहीं जानता. मेरे मकान मालिक चाहते हैं कि मैं अपने मुल्क वापस चला जाऊं. हम खिचड़ी, ब्रेड और अंडा कई दिनों से खाते आ रहे हैं. जब भी बिजली आती है, तो बैट्री चार्ज कर लेता हूं और उससे कंप्यूटर, मोबाइल चार्ज कर लेता हूं. उसी से फेसबुक पर संपर्क कर लेता हूं.
विदेश मंत्रालय से नहीं हो पाया संपर्क
रूबी ने दिल्ली स्थित विदेश मंत्रलय से संपर्क की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. वह कहती हैं, हर दिन बात करने की कोशिश करती हूं. हर वक्त कोई-न-कोई यह कह कर बात को टाल देता है कि आज सुषमा स्वराज जी मीटिंग में हैं. मैं कल पक्का बात करवाता हूं. उन्होंने कहा, मैंने सुषमा स्वराज जी को एक भाषण में कहते सुना है कि जो भी उनसे पर्सनली मिलेगा, वे उनकी मदद करेंगी. हम उनके पास मिलने जायेंगे.
डॉ संजीव के बारे में
राजेन्द्र नगर निवासी डॉ संजीव धारी सिन्हा ने पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की है. उसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से इंगलिश में एमए और पीएचडी और पटना लॉ कॉलेज से ही लॉ की डिग्री भी प्राप्त की. वे एक इंटरनेशनल बास्केटबॉल प्लेयर हैं. श्रीलंका में होनेवाले टूर्नामेंट में इंडिया को रिप्रेजेंट कर चुके हैं. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में 24 घंटे तक जिंबलिंग का रिकॉर्ड भी इनके नाम से ही दर्ज है. राजेन्द्र नगर में विद्या सिद्धी सदन इनके घर का नाम है. घर में 85 वर्षीय पिताजी सिद्धेश्वर धारी सिन्हा और भाई और उनकी पत्नी रहती हैं. इनकी मां विद्या वती शर्मा का देहांत हो चुका है.
निकलने का नहीं कोई रास्ता
डॉ संजीव त्रिपोली के तिजारी बैंक के पास रहते हैं. पास में ही सावनी गवर्नमेंट स्कूल और सावनी मस्जिद भी. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया है, त्रिपोली एयरपोर्ट को जला दिया गया है. 1500 किलोमीटर के बाद मालता एयरपोर्ट है. चार घंटे के रास्ते पर थीनीसिया एयरपोर्ट है. ये दोनों एयरपोर्ट भी खुले हैं या नहीं, नहीं जानता. जिस कॉलेज में वे पढ़ाते हैं वहां इनके सैलरी का 36 लाख रुपया फंसा है. वीजा भी कॉलेज एडमिन्सट्रेशन के पास है. अंत में वह लिखते हैं ‘मुङो बाहर जा के देखना है कि क्या हलचल है. एंबेसी को बताना है’.