मधेपुर (मधुबनी) : प्रखंड के कोसी नदी के प्रभावित गांवों में जन जीवन बुधवार को सामान्य हो गया. लोग अपने दैनिक कामों में जुट गये हैं. पिछले पांच दिनों से कोसी के गांवों और गलियों में छायी उदासी खत्म हो गयी है. घर छोड़ कर शरणार्थी के रूप में रह रहे लोग वापस अपने घर पहुंच चुके हैं.
गांव की गलियों में प्रशासनिक अधिकारियों के जमावड़े की जगह बच्चे उछल कूद कर रहे हैं. गढ़गांव के समीप कोसी नदी का घाट सुना पड़ा है. शनिवार से सोमवार तक इस घाट पर दिन रात अधिकारियों का आना-जाना लगा था, जो अब बंद हो गया है. घाट पर दिन-रात कैंप कर रही एसडीआरएफ की टीम की जगह अब नाविक यात्रियों को नदी पार कराने में जुटे हुए हैं.
बाजार सहित प्राय: सभी चौक चौराहों पर संभावित बाढ़ की चर्चा अब बंद हो गयी है. प्रखंड के सभी कार्यालयों में चार दिनों तक छायी रहने वाली उदासी समाप्त हो गयी. हालांकि बाढ़ की त्रसदी से रक्षा करने के लिए कोलकाता से आयी एनडीआरएफ व बिहटा पटना की एसडीआरएफ की टीम वापस नहीं लौटी है. डिप्टी कमाडेंट (एनडीआरएफ) जी शेरपा व डिप्टी कमांडेंट (एनडीआरएफ) एके झा ने बताया प्रशासनिक आदेश मिलते ही वे लोग वापस लौट जायेंगे.
शरणार्थी शिविर से वापस घर लौटे गढ़गांव के सुकुमार मंडल, राम चंद्र मंडल, मसोमात मुखनी देवी, जैतून खातून, राजकरण मंडल सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि चार दिनों तक रतजगा करना पड़ा. बाढ़ का दंश तो हर वर्ष झेलना पड़ता है, पर प्रशासन की सक्रियता पहली बार देखने को मिली.