17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सात-आठ वर्षो में सूबे में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरीं : नीतीश

डॉक्टर इलाज के साथ लोगों को स्वस्थ रहने के भी बताएं उपाय पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण इलाकों में तैनात डॉक्टरों का आह्वान किया है कि वे लोगों के इलाज के साथ-साथ स्वस्थ रहने के उपाय भी बताएं. शनिवार को राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में जदयू के स्वास्थ्य समागम का उद्घाटन […]

डॉक्टर इलाज के साथ लोगों को स्वस्थ रहने के भी बताएं उपाय

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण इलाकों में तैनात डॉक्टरों का आह्वान किया है कि वे लोगों के इलाज के साथ-साथ स्वस्थ रहने के उपाय भी बताएं. शनिवार को राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में जदयू के स्वास्थ्य समागम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षो में राज्य में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार हुआ है, लेकिन यह अब भी नाकाफी है.

उन्होंने कहा कि वह भी एक दौर था, जब सरकारी अस्पतालों के बेड पर कुत्ते सोया करते थे और आज स्थिति यह है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को रखने की जगह कम पड़ रही है. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी शामिल होना था. लेकिन, उनके दिल्ली चले जाने से जदयू चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एलबी सिंह ने उनका संदेश पढ़ कर सुनाया.

गरीबों को सफाई से रहने का सलीका सिखाएं : नीतीश ने कहा, वर्ष 2005 में मैं मुख्यमंत्री बना, तो विश्व बैंक की एक रिपोर्ट देखी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार में दैनिक मजदूरी करनेवाले लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा उनके व उनके परिजनों के इलाज पर खर्च होता है. जब हम सांसद थे, तब एक कार्यक्रम में एक बहुत ही गरीब व्यक्ति ने मेरे पास आकर कहा था कि आप सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक कीजिए.

उसका कहना था कि जब गरीब को अपने इलाज में ही अपनी कमाई खर्च करनी पड़ेगी, तो वह खायेगा कैसे? ऐसे में हमारा प्रयास होना चाहिए कि गरीब लोग बीमार कम पड़ें. इसके लिए उन्हें पौष्टिक भोजन और साफ-सफाई से रहने का सलीका सिखाया जाये. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 की शुरुआत में उन्होंने एक सर्वे रिपोर्ट में पाया था कि सरकारी अस्पतालों में महीने में औसतन केवल 39 मरीज पहुंचते हैं. वर्ष 2006 के अंत में यह आंकड़ा बढ़ कर दो से ढाई हजार तक पहुंच गया.

आज स्थिति यह है कि हर महीने सरकारी अस्पतालों में इलाज करानेवाले मरीजों की संख्या आठ हजार तक पहुंच चुकी है. यह बताता है कि राज्य में चिकित्सा सेवा पहले से काफी बेहतर हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़नी चाहिए. इसके लिए सरकार प्रयासरत है.

लेकिन, केवल इसी से डॉक्टरों की कमी दूर हो जायेगी, यह संभव नहीं है. भले ही सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन राज्य में एलोपैथिक डॉक्टरों की अब भी काफी कमी है. इसके लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के युवक-युवतियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय के माध्यम से एक साल का प्रशिक्षण दिला कर उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने की सुविधा उपलब्ध करा रही है.

इन आरएमपी चिकित्सकों का दायित्व है कि वे लोगों का इलाज करने के साथ उन्हें बीमारियों से बचने का गुर भी बतायेंगे. समागम की अध्यक्षता जदयू चिकित्सा सेवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एलबी सिंह ने की. मौके पर आइएमए की बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ सहजानंद समेत राज्य के कई जाने-माने डॉक्टर मौजूद थे.

जदयू के स्वास्थ्य समागम में चिकित्सा प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष रहे नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कुमार सिंह व अन्य पदाधिकारी अनुपस्थित रहे. यह चर्चा का विषय बना रहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें