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पटना के अधिकतर स्कूल आरटीइ के तहत नहीं ले रहे एडमिशन, इन्हें गरीबों का पढ़ना मंजूर नहीं

पटना: गरीबी की वजह से कोई भी बच्च पढ़ने से वंचित नहीं रहे और उसे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिले, इस उद्देश्य से सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) तो लागू कर दिया, लेकिन अधिकतर स्कूलों द्वारा इसका पालन नहीं करने से गिने-चुने बच्चों को ही इसका लाभ मिल पाया है. […]

पटना: गरीबी की वजह से कोई भी बच्च पढ़ने से वंचित नहीं रहे और उसे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिले, इस उद्देश्य से सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) तो लागू कर दिया, लेकिन अधिकतर स्कूलों द्वारा इसका पालन नहीं करने से गिने-चुने बच्चों को ही इसका लाभ मिल पाया है.

आरटीइ के दायरे में आनेवाले स्कूलों में इसके प्रावधानों के तहत पहली कक्षा में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों का एडमिशन देना है, जिसके लिए सरकार की ओर से साल में एक बार निश्चित फीस मिलती है. राज्य के अन्य जिलों को तो छोड़ दीजिए, खुद राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. पटना शहरी क्षेत्रों के 120 प्राइवेट स्कूल बिहार सरकार से निबंधित हैं, पर इनमें से केवल 61 स्कूलों ने ही आरटीइ के तहत नामांकन लिया है. किसी स्कूल में पांच बच्चों का नामांकन हुआ है, तो किसी में दस. एक तरह से उन्होंने भी खानापूर्ति ही की है. कई स्कूलों में सत्र 2013-14 में इस कोटे में एडमिशन का खाता भी नहीं खुला है.

आरटीआइ से मिली जानकारी
सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिली जानकारी के अनुसार, सत्र 2013-14 में पटना शहरी क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 700 बच्चों का ही आरटीइ के तहत नामांकन हो पाया है. इनमें कोटे के तहत सभी स्कूलों को 30 बच्चों का नामांकन लेना था, लेकिन किसी भी स्कूल ने ऐसा नहीं किया है. यदि 61 स्कूलों की ही बात करें, तो वहां 1830 बच्चों का नामांकन इस कोटे के तहत होना चाहिए था. नागरिक अधिकार मंच के शिव प्रकाश राय ने बताया कि आरटीआइ से मिली जानकारी के अनुसार, आरटीइ के तहत प्राइवेट स्कूलों में नामांकन नहीं के बराबर हुआ है. वहीं, एक स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि आरटीइ के तहत वे बच्चों को अलग से तैयारी कराते हैं.

सभी प्राइवेट स्कूलों को क्लास वन में 25} सीटों पर गरीब बच्चों का नामांकन करना है. हर साल स्कूलों से रिपोर्ट मंगायी जाती है. यदि वे 25} से कम एडमिशन लेते हैं, तो उन पर कार्रवाई होती है. हम स्कूलों से नामांकन की सूची मंगवाते हैं.
कौशल किशोर, कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान

जब आरटीइ लागू हुआ, तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे लागू करने के लिए तीन साल तक का समय दिया गया था, लेकिन वर्ष 2014 से इसे पूरी तरह लागू करना है. हर स्कूल को कोटे के तहत 25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेना ही होगा. हम जल्द ही समीक्षा बैठक करेंगे.

निशा झा, अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग

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