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आखिर कब तक खतरे में ‘उड़ेंगे’ यात्री

पटना: आबादी के मामले में देश का तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार की राजधानी पटना एक स्तरीय एयरपोर्ट के लिए तरस रहा है. कहने को तो पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, मगर अंतरराष्ट्रीय उड़ान तो दूर यहां पर एयरबस से बड़ी उड़ान रखने की क्षमता भी नहीं है. रनवे की लंबाई बड़े विमानों के […]

पटना: आबादी के मामले में देश का तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार की राजधानी पटना एक स्तरीय एयरपोर्ट के लिए तरस रहा है. कहने को तो पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, मगर अंतरराष्ट्रीय उड़ान तो दूर यहां पर एयरबस से बड़ी उड़ान रखने की क्षमता भी नहीं है.

रनवे की लंबाई बड़े विमानों के लायक नहीं होने की वजह से पटना एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग स्मूथ नहीं हो पाती. पायलट को इमरजेंसी ब्रेक लगाना ही पड़ता है. छोटे रनवे होने की परेशानी लंबे समय से है, मगर इसको दूर करने की दिशा में न तो एयरपोर्ट अथॉरिटी और न ही राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा पा रही है.

बड़े विमानों के लिए अनुकूल नहीं : पटना एयरपोर्ट आज भी देश के 11 उन खतरनाक हवाई अड्डे में शामिल है, जहां पर रनवे की लंबाई बड़े विमानों की लैंडिंग के अनुकूल नहीं है. इसको लेकर डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने पिछले साल छह बार राज्य सरकार को चेतावनी भी दी थी. बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है.

अवरोध भी कम नहीं : एयरबस 320 और बोइंग 737 जैसे बड़े विमानों के संचालन के लिए रनवे की लंबाई कम-से-कम 9000 फीट होनी चाहिए. मगर, पटना एयरपोर्ट रनवे की कुल लंबाई 7500 फीट है. उसमें भी अगल-बगल के अवरोध के चलते 6409 फीट रनवे ही उपयोग में आ पाता है.

एयरपोर्ट शिफ्ट करने की उठती रही मांग : पटना एयरपोर्ट के विकास की संभावना नहीं बनती देख कर राज्य सरकार व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कई बार दूसरी जगह पर नया एयरपोर्ट बनाने की संभावना पर चर्चा की, मगर अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सके. पटना शहर में जमीन की महंगी कीमत को देखते हुए इसकी संभावना नहीं बनी. बिहटा में पहले ही काफी अधिग्रहण हो चुका है, इसलिए वहां पर जमीन मिलने की संभावना वैसे ही कम नजर आ रही है. राजधानी के आस-पास के शहर धनरूआ, वैशाली, राजगीर और नालंदा में भी नया एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव आया.

कई बड़े शहरों की सीधी उड़ान नहीं : पटना एयरपोर्ट से दूसरी शहरों में उड़ान भरनेवाले यात्रियों की तादाद में हर साल इजाफा हो रहा है. पिछले चार सालों में इनकी संख्या लगभग तीन गुणी तक बढ़ी है. बावजूद इसके अब तक देश के कई बड़े एयरपोर्ट से पटना का सीधा संपर्क नहीं हो सका है. फिलहाल पटना एयरपोर्ट से मात्र चार शहर नयी दिल्ली, कोलकाता, रांची और लखनऊ के लिए ही सीधी उड़ान मिलती है. मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए वाया उड़ान की सुविधा है. इनके अलावा गुवाहाटी, अहमदाबाद, जयपुर, हैदराबाद, पुणो, इंदौर जैसे शहरों के लिए आज भी हवाई यात्री दिल्ली या कोलकाता से कनेक्टिंग फ्लाइट का सहारा लेते हैं.

जगह की भी समस्या : पटना एयरपोर्ट से बड़े शहरों के लिए फ्लाइट नहीं होने का सबसे बड़ा कारण जगह की समस्या है. सामान्य तौर पर पटना एयरपोर्ट पर सात-आठ फ्लाइट की ही सुविधाएं हैं, लेकिन फिलहाल पंद्रह फ्लाइट हर दिन उड़ान भर रही हैं. एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक अगर किसी समय तीन फ्लाइट एक साथ आ जाये, तो किसी हेलीकॉप्टर को खड़ा रखने की जगह भी नहीं मिलेगी. राज्य सरकार ने एयरपोर्ट के बगल में पड़ी एसटीएफ की छह एकड़ जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी को मुहैया करायी है, मगर उसके एवज में 115 करोड़ की मांग की है. हालांकि इसके मिलने से भी रनवे की समस्या नहीं खत्म होगी. सिर्फ एक-दो फ्लाइट की पार्किग की सुविधा बढ़ सकती है. राशि को लेकर भी एयरपोर्ट अथॉरिटी को आपत्ति है. उनके मुताबिक भुवनेश्वर, रायपुर सहित कई शहरों में राज्य सरकार ने अपने स्तर से एयरपोर्ट प्रशासन को जगह मुहैया करायी है.

मरीज नहीं जा पाया दिल्ली
विमान कंपनियों की ओवर बुकिंग का खामियाजा सोमवार को प्रोस्टेट से पीड़ित एक मरीज को भुगतना पड़ा. वह इलाज के लिए दिल्ली नहीं जा सका. पीड़ित राजेंद्र सिंह (छपरा) के परिजनों ने बताया कि आइजीआइएमएस में इलाज चल रहा है. प्रोस्टेट में इनफेक्शन की शिकायत है. कैथेटर भी लगाया गया है. आकस्मिक इलाज के लिए फ्लाइट से आने की सलाह दी, मगर टिकट ही नहीं मिला. एयर एंबुलेंस सेवा की मांग पर एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि हमारे पास इसकी सुविधा नहीं है. इसके लिए दिल्ली के बड़े अस्पताल से ही संपर्क करना होगा. एयरलाइन कंपनी को डॉक्टर के ‘फिट टू फ्लाइ’ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. सर्टिफिकेट नहीं मिलने पर एयरलाइंस की डॉक्टर टीम से क्लीयरेंस लेना पड़ता है.

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