पटना: प्रदेश जदयू ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर बिहार विरोधी होने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार जैसे बड़े राज्य से मात्र चार लोगों को मंत्री बनाया गया.
उसमें भी भाजपा कोटे से मात्र दो ही मंत्री बने. खास बात यह है कि बिहार के हिस्से में जो मंत्रलय दिये गये, वे महत्वहीन हैं. कृषि मंत्रलय को छोड़ कर बाकी सारे मंत्रलय ऐसे हैं, जिनकी बिहार के आधारभूत संरचना के विकास में या बिहार की आर्थिक विकास में कोई बड़ी भूमिका नहीं हैं. अगर बिहार को रेल मंत्रलय या भूतल परिवहन या स्वास्थ्य या मानव संसाधन जैसे महकमे दिये जाते, तो इनकी बिहार के विकास में प्रभावी भूमिका हो सकती थी.
उन्होंने कहा कि पूर्वी बिहार व कोसी के इलाकों से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया है. अपने चुनावी भाषणों में कोसी की तसवीर बदलने का वादा करनेवाले भाजपा नेताओं को इसका जवाब देना चाहिये. बिहार के साथ कैसा भद्दा मजाक किया गया इसकी एक बानगी यह है कि बिहार के कोटे से बाहर के व्यक्ति धर्मेद्र प्रधान को तो स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया, पर उपेंद्र कुशवाहा को राज्यमंत्री बनाया गया. नीरज ने कहा, चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के नेतागण बार बार यह वादा करते थे कि केंद्र में आने पर मोदी जी राज्य की तरक्की के लिए विशेष राज्य का दर्जा देंगे, विशेष पैकेज देंगे और रेलवे की लंबित परियोजनाओं के लिए धन देंगे. नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार बनते ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे देंगे. अब वह समय आ गया है. विशेष राज्य के मुद्दे पर भाजपा अपना रुख साफ करे और निश्चित समय बताये कि वह कितने दिनों के अंदर विशेष दर्जा देने जा रही है. उन्होंने कहा, मोदी के कैबिनेट में 13 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में यह बताया गया है. 45 मंत्रियों में से 40 मंत्री करोड़पति हैं, जिनकी की औसत संपति 13 करोड़ से ज्यादा है.
सुशील मोदी कब छोड़ेंगे महादलित के लिए पद
जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता रामकिशोर सिंह ने भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी से अपनी कुरसी किसी दलित-महादलित विधायक को सौंपने के लिए तारीख बताने को कहा है. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के त्यागपत्र देने को नौटंकी करार किया था. इसके बाद वरिष्ठतम व सुयोग्य मंत्री जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने पर यह कह कर कि वे रिमोट से चलनेवाले मुख्यमंत्री होंगे, महादलित समाज का अपमान किया. उन्होंने कहा कि मैंने सुशील मोदी से विधानमंडल दल के नेता की कुर्सी सिर्फ 18 माह तक के लिए किसी महादलित विधायक को सौंपने का मांग की थी. लेकिन, सुशील मोदी ने किसी महादलित विधायक को अपनी कुरसी सौंपने के लिए विधानमंडल दल के नेता पद से त्यागपत्र नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि मोदी के लिए कुर्सील मोदी (कुर्सी से चिपक रहने वाला) शब्द सत्य प्रतीत हो रहा है.