पटना: महात्मा गांधी सेतु के पाया संख्या 44 के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण में एक वर्ष का समय लगेगा. कैंटी लीवर सिस्टम में बने 120 मीटर लंबे सुपर स्ट्रक्चर को बदलने के लिए नेशनल हाइवे और मुंबई की फ्रेसिनेट कंपनी के अभियंताओं को दिन-रात मशक्कत करनी पड़ रही है. पिछले तीन वर्षो से गांधी सेतु के पाया संख्या 44 के ऊपर बना सुपर स्ट्रक्चर 700 मिलीमीटर झुक गया है.
सुपर स्ट्रक्चर झुकने के कारण पाया संख्या 44 की पश्चिमी लेन पर यातायात बंद है. सिर्फ पूर्वी लेन से गाड़ियों की आवाजाही हो रही है.
तीन साल से स्थिति खराब : कैंटी लीवर तकनीक से बने गांधी सेतु की मरम्मत का काम पुल चालू रहते हुए काफी मुश्किल भरा है. बरौनी स्थित राजेंद्र पुल पर परिचालन बंद होने से गांधी सेतु पर वाहनों का जबरदस्त लोड बढ़ा है. इसके कारण पाया संख्या- 39, 40 और 41 के बीच 360 मीटर लेन की सेहत तीन सालों से बिगड़ी हुई है. हालांकि एनएचआइए ने 360 मीटर लेन के निर्माण का प्रस्ताव केंद्रीय राजमार्ग मंत्रलय को काफी पहले ही भेज दिया है.
360 मीटर लेन में भारी वाहनों के परिचालन के कारण कई जगहों पर पश्चिमी लेन क्षतिग्रस्त हो गयी है. फिलहाल पाया संख्या- 39 से 41 के बची पूर्वी लेन से ही गाड़ियों का परिचालन हो रहा है.
दो चरणों में होगा निर्माण : पाया संख्या-44 के डैमेज लेन के पुनर्निर्माण के लिए दोनों लेनों का तोड़ा जाना आवश्यक है. डैमेज लेन की कटाई का काम एक-दो दिनों में शुरू हो जायेगा. इसके लिए फ्रेसिनेट कंपनी ने लोहे के 68 वैकल्पिक पाये खड़े किये हैं. इन पायों पर ही दो चरणों में पश्चिमी व पूर्वी लेन का पुनर्निर्माण होगा. दोनों साइड के सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण दो चरणों में कराया जायेगा, ताकि पुल पर आवागमन बाधित न हो. कैंटी लीवर सिस्टम में सतह का पुनर्निर्माण कराने के लिए 120 मीटर में पश्चिमी लेन में दोनों तरफ वैकल्पिक पाये खड़े किये गये हैं. एक तरफ सतह निर्माण होने के बाद दूसरी तरफ यानी पूर्वी साइड में इसी तरह के वैकल्पिक पाये खड़े किये जायेंगे. उसके बाद ढलाई का काम किया जायेगा. गांधी सेतु के 120 मीटर लंबे सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण पर 31 करोड़ रुपये खर्च होने हैं.
हो सकती है बड़ी परेशानी : पाया संख्या 39 से 41 तक के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण का प्रस्ताव भी एनएचएआइ ने केंद्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भेजा है. अभी तक प्राधिकरण ने इसके लिए कोई अध्ययन दल नहीं भेजा है. अध्ययन दल की रिपोर्ट के बाद ही 360 मीटर लंबी सतह के निर्माण की योजना की स्वीकृति मिलेगी. एनएचएआइ के अभियंताओं ने बताया कि फिलहाल 360 मीटर में कोई बड़ी दिक्कत नहीं है, किंतु शीघ्र ही इसकी मरम्मत के लिए कदम नहीं उठाये गये, तो बड़ी दिक्कत हो सकती है.