छपरा (कोर्ट)
परसा थाना क्षेत्र से पकड़े गये दोनों कुख्यात नक्सली रामकुमार पासवान उर्फ धीरज तथा सुभाष गुप्ता उर्फ चंदन जिले में घटनाओं को अंजाम देने के लिए रेकी करने आये थे. इनके पास से जो रुपये बरामद हुए हैं वह मधुकॉन कंपनी से लेबी के रूप में ली गयी रकम है. पुलिस ने धीरज के पास से 60 हजार और चंदन के पास से 23 हजार नकद तथा दोनों के पास से एक-एक पिस्तौल और दो-दो 315 की गोलियां व दो-दो मोबाइलों की बरामदगी की है. उक्त जानकारी सारण एसपी वरुण कुमार सिन्हा ने दी. उन्होंने कहा कि दोनों की गिरफ्तारी सारण पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है और दोनों को गिरफ्तार करनेवाले थानाध्यक्ष व पुलिस बल को पुरस्कृत किया जायेगा. एसपी ने बताया कि हाजीपुर के जमुनी लाल कॉलेज से इंटर पास चंदन उर्फ सुशांत ने वर्ष 2003 में संगठन में ज्वायन किया. यह जंदाहा बैंक में लूट तथा थाने पर हुए हमला में शामिल था. इसके अलावा रीगा सेंट्रल बैंक और रीगा थाने पर हमले में भी शामिल था. इसमें एक सैप के जवान की मौत हुई थी. चंदन वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुजफ्फरपुर देवरिया के कपरूरी चौक पर लैंडमाइंस के द्वारा पैट्रोलिंग मजिस्ट्रेट के वाहन को उड़ाने में शामिल था. इसमें मजिस्ट्रेट समेत छह पुलिसकर्मियों की मौत के उपरांत उनके हथियार लूट लिये गये थे. इसके अलावा वर्ष 2007 में पारू थाना क्षेत्र के चतुरपट्टी स्थान पर पुलिस से हुई मुठभेड़ में भी शामिल था, जिसमें सैप के एक जवान की मौत हो गयी थी. एसपी ने कहा कि हाजीपुर क्षेत्र में रेलवे ट्रैक उड़ाये जाने में इसने अपनी संलिप्तता नहीं स्वीकारी है, लेकिन उसमें शामिल अपने साथियों का नाम बताया है. इनमें लखेंद्र पासवान, राजू सहनी और श्रवण दास उर्फ तूफानी के अलावा अन्य साथ शामिल थे. एसपी के समक्ष चंदन ने स्वीकार किया कि वह वर्ष 2010 में हाजीपुर से गिरफ्तार हुआ परंतु पुलिस ने गिरफ्तारी पारू से दिखलायी थी. दो वर्ष बाद 2012 में जेल से छूटा और पुन: संगठन के काम में लग गया. वहीं, मोबाइल कमांडर धीरज उर्फ विधायक उर्फ नेता ने स्वीकार किया कि वह वर्ष 2010 में संगठन में शामिल हुआ और वर्ष 2011 में मुजफ्फरपुर के पारू थाना क्षेत्र से गिरफ्तार हुआ. वर्ष 2013 में जेल से छूटने के बाद वह संगठन में सक्रिय हुआ और इसकी लगन व मेहनत के बदौलत इसे छपरा सब जोनल एरिया कमांडर राजन का संगठन में प्रोमोशन होने व झारखंड जाने के उपरांत इसे यहां का जोनल कमांडर बना दिया गया. एसपी ने बताया कि धीरज गुड़िल्ला दस्ते का भी प्रमुख है. इसमें इसके अलावे 11 सदस्य है, इनमें उदय उर्फ सैम्संग, गजेंद्र उर्फ नोकिया, अनिल उर्फ पीपल वाला, विनय उर्फ वर्षा, प्रभु उर्फ पुनीत, नरेश उर्फ जाल वाला, दर्दिया उर्फ परशुराम, देव किशोर उर्फ राजदूत वाला, विकास उर्फ अभिषेक, बादशाह उर्फ राजा और बरूड़िया उर्फ मुखिया शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा धीरज ने अपने अन्य साथियों का नाम बताया है कि इसमें सीतामढ़ी का चंदन, रामपुर थाना के काशी पकड़ी का जयंत राम, मुजफ्फरपुर भटौली का रमेश पासवान, मोतिहारी महेशी का निशांत, शिवहर पवित्र नगर का आलोक राम और श्यामपुर भाठा का दिनेश राम, मनोज राम, मधुबन लाही बंजारिया का दिनेश राय, गोपालगंज बैकुंठपुर के सिंगी का प्रदीप पुरी, राजेंद्र पूरी, दीपक पूरी के अलावे पानापुर बसहियां का हरिहर सहनी शामिल है. श्री सिन्हा के समक्ष धीरज ने स्वीकार किया कि वह बैंकुंठपुर में हुई दो लोगों की हत्या में शामिल था. दोनों बड़े जाति के थे और पुरी परिवार को तंग करते थे. उनकी हत्या करने के लिए पुरी ने सबों को बुलाया था वे लोग नाव तथा उसके बाद वाहन द्वारा बाजार पर गये और दोनों को मौत के घाट उतार दिया.