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दुती को ओलंपिक टिकट, 36 साल में 100 मी में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला

नयी दिल्ली : ‘लिंग’ संबंधी मामले में जीत दर्ज करके अंतरराष्ट्रीय सर्किट में वापसी करने के एक साल बाद भारतीय महिला फर्राटा धाविका दुतीचंद ने आज रियो ओलंपिक में 100 मीटर दौड़ के लिये क्वालीफाई कर लिया. वह इस तरह 36 साल में ओलंपिक की 100 मी स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला […]

नयी दिल्ली : ‘लिंग’ संबंधी मामले में जीत दर्ज करके अंतरराष्ट्रीय सर्किट में वापसी करने के एक साल बाद भारतीय महिला फर्राटा धाविका दुतीचंद ने आज रियो ओलंपिक में 100 मीटर दौड़ के लिये क्वालीफाई कर लिया. वह इस तरह 36 साल में ओलंपिक की 100 मी स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गयीं. कजाखस्तान के अलमाटी में 26वें जे कोसनोव मेमोरियल मीट में उन्होंने ओलंपिक में जगह बनाने के साथ खुद के राष्ट्रीय रिकार्ड में भी सुधार किया.

दुती ने महिलाओं की 100 मी हीट में 11.30 सेकेंड का समय निकाला और फाइनल में इससे बेहतर प्रदर्शन करते हुए 11.24 सेकेंड में रेस पूरी करते हुए रजत पदक अपनी झोली में डाला तथा रियो ओलंपिक का टिकट कटाया. रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाईंग मार्क 11.32 सेकेंड था. अपने इस प्रयास के दौरान ओडिशा की 20 वर्षीय दुती ने 11.33 सेकेंड का खुद का राष्ट्रीय रिकार्ड भी तोड़ा जो उन्होंने अप्रैल में फेडरेशन कप राष्ट्रीय चैंपियनशिप में बनाया था.
दुती महान एथलीट पीटी उषा के बाद ओलंपिक की 100 मी रेस में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं. पीटी उषा ने 1980 मास्को खेलों में भाग लिया था. ओडिशा की यह एथलीट 100 मीटर क्वालीफिकेशन प्रणाली लागू किये जाने के बाद इस स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं. महान एथलीट उषा ओलंपिक 100 मीटर में भाग लेने वाली आखिरी भारतीय महिला एथलीट थी. उन्होंने मास्को ओलंपिक 1980 में हिस्सा लिया था लेकिन तब क्वालीफिकेशन प्रणाली नहीं थी.
ओलंपिक में 100 मी स्पर्धा में उनसे पहले चार भारतीय महिला एथलीट नीलिमा घोष और मैरी डीसूजा (1952), मैरी लीला राव (1956) और उषा (1980) ने शिरकत की है. दुती रियो खेलों के लिये क्वालीफाई करने वाली भारत की 20वीं ट्रैक एवं फील्ड एथलीट हैं. दुती के लिये ओलंपिक में जगह बनाना बेजोड़ उपलब्धि है क्योंकि उन्हें 2014 में प्रतिबंधित कर दिया गय था और राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया गया था क्योंकि आईएएएफ की नीति के अनुसार उनमें टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) का स्तर अधिक पाया गया था.
दुती एक साल तक अभ्यास या किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पायी लेकिन उन्होंने इसका पूरे साहस के साथ सामना किया और स्विट्जरलैंड में खेल पंचाट में प्रतिबंध के खिलाफ अपील की. पिछले साल जुलाई में खेल पंचाट ने ऐतिहासिक फैसले में आंशिक रूप से उनकी अपील को सही ठहराया और उन्हें अपना करियर फिर से शुरू करने की अनुमति दी.
ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने के बाद दुती ने कहा, ‘‘मैं रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके वास्तव में खुश हूं. यह मेरे लिये मुश्किल साल रहा. मेरी और मेरे कोच (एन रमेश) की कड़ी मेहनत आखिर में रंग लायी. ‘

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