।। रवि शास्त्री ।।
पिछले कुछ हफ्तों में की गयी लगातार यात्राओं, होटल के कमरों में चेक इन और चेक आउट करना, बेहद गर्मी और स्टेडियम के गेट पर मौजूद रहनेवाले मानवसागर के बावजूद भी मुझे बिल्कुल भी थकान नहीं हुई. वो इसलिए क्योंकि मेरे लिए यह आइपीएल युवा प्रतिभाओं का महामंच जैसा रहा.रोमांचक फाइनल ने भी एक शानदार टूर्नामेंट की परंपरा को बखूबी सार्थक किया. कई युवा खिलाड़ी इस महामंच से निकल कर सुनहरे रास्ते पर चले और निश्चित रूप से कई आगे भी चलेंगे.
इस साल अफगानिस्तान के दो खिलाड़ी वैश्विक स्तर पर छा गये. राशिद और नबी अपने देश के लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हैं. सुनील नारायण ने बतौर ओपनर मानो सांसें ही रोक दी. पारंपरिक बल्लेबाजी का सशक्त उदाहरण हमने हाशिम अमला और केन विलियम्सन की बल्लेबाजी में देखा. स्टीव स्मिथ को हमने क्रीज पर चहलकदमी करते हुए फील्डरों के बीच गैप बनाते हुए देखा.
क्रिस गेल और एबी डिविलियर्स अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप खेल नहीं दिखा सके. धौनी और कोहली जैसे खिलाड़ियों की वो लय भी देखने से हम वंचित रहे, जिसमें वे आमतौर पर नजर आते हैं. युवराज सिंह के बारे में भी ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है. (टीसीएम)