मुंबई : टीम इंडिया के वनडे और टी-20 टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने अपने जीवन पर बन रही फिल्म ‘एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ के प्रमोशन के मौके पर बड़ा खुलासा किया है. धौनी ने अपने क्रिकेट जीवन के उन लम्हों को भी साझा किया जिनका उन पर बड़ा असर पड़ा. उन्होंने कहा, उनके जीवन में वो क्षण सबसे दुखद रहा था जब टीम इंडिया वर्ल्ड कप हार गयी थी. हार के बाद उन्हें समर्थकों से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा.
भारतीय कप्तान ने कहा कि 2007 विश्व कप में हार और उनके तथा टीम के खिलाफ प्रतिक्रिया का उन पर गहरा असर पड़ा और कुछ हद तक यह अनुभव उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा. उन्होंने कहा कि जब टीम क्रिकेट मैच हारती है तो भारत में समझा जाता है कि वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोई अपराध किया है या वे हत्यारे या आतंकवादी हैं. उन्होंने 2007 विश्व कप के पहले दौर से बाहर होने के बुरे समय को भी याद किया जब लोगों ने उनके घर पर पत्थर बरसाए थे.
धौनी ने स्वीकार कि उनकी कप्तानी उनकी दिल की आवाज अधिक है क्योंकि उन्होंने जीवन के अनुभव से काफी कुछ सीखा है. यह पूछने पर कि क्या वह खुद अपनी भूमिका निभा सकते थे तो धौनी ने कहा, ‘‘अभिनय काफी मुश्किल काम है जिसे अभिनेताओं पर छोड़ देना चाहिए जिन्हें पता है कि क्या करना है.’ धौनी ने कहा कि खड़गपुर रेलवे स्टेशन में टीटीई के रुप में काम करने ने उन्हें कडा बनाया और वह बेहतर व्यक्ति बने.
आत्मकथा के बारे में पूछने पर धौनी ने कहा कि किताब लिखने में अधिक प्रयास लगते हैं और ऐसा करने में समय लगेगा. उन्होंने कहा, ‘‘किताब अपना समय लेगी. किताब लिखने की धारणा असल में फिल्म से पहले आई थी लेकिन इसके लिए अधिक प्रयास की जरुरत है. किताब अधिक विस्तृत होगी.’
* धौनी ने सुशांत सिंह राजपूत को ‘शानदार अभिनेता’ बताया
धौनी ने फिल्म के नायक सुशांत सिंह राजपूत को ‘शानदार अभिनेता’ करार दिया जिन्होंने फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है और विभिन्न सेलीब्रिटीज क्रिकेट लीग में वह अब बेहतर क्रिकेटरों में से एक हैं. धौनी ने बताया कि सुशांत चाहते थे कि उन्हें क्रिकेट खेलते हुए धौनी की मानसिकता के बारे में पता चले.
उन्होंने कहा, ‘‘यह मुश्किल था क्योंकि काफी चीजें ऐसी थी जो मैं उसे नहीं बता सकता था क्योंकि मैं अब भी सक्रिय क्रिकेट खेल रहा हूं और कप्तानी कर रहा हूं.’ धौनी ने कहा कि पर्याप्त बुनियादी ढांचा और मार्गदर्शन के अलावा जज्बा भारत को ‘खेल राष्ट्र’ बना सकता है. धौनी ने कहा कि खेल में कम समय में नतीजे नहीं मिलते.
उन्होंने कहा, ‘‘एक ओलंपिक के बाद अगर हम खेल में निवेश करें और कहें कि अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक मिलेगा तो खेल में ऐसा नहीं होता. यह ऐसे काम करता है कि आप बुनियादी ढांचा मुहैया कराएं, खान पान और स्वास्थ्य के बारे में शिक्षा दें.’ उन्होंने कहा, ‘‘एक समय बाद जब सभी चीजें खिलाडियों को मिलेंगी तो देश खेल राष्ट्र के रुप में विकसित होगा. यह काफी अहम है.’