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Friday, March 29, 2024

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सौरभ ने कहा, अगले 50 साल तक याद आयेंगे सचिन

सचिन तेंडुलकर आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्रभात खबर देश के सेलेब्रिटी की सचिन के बारे में राय से आपको अवगत करवा रहा है. इसी क्रम में आज पढ़िए टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली से सचिन पर आइबीएन7 नेटवर्क के साथ विशेष बातचीत. * आइबीएन7 […]

सचिन तेंडुलकर आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्रभात खबर देश के सेलेब्रिटी की सचिन के बारे में राय से आपको अवगत करवा रहा है. इसी क्रम में आज पढ़िए टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली से सचिन पर आइबीएन7 नेटवर्क के साथ विशेष बातचीत.

* आइबीएन7 : आप सचिन तेंडुलकर की पहली इनिंग्स को देखे हैं. आपको कभी भी ऐसा महसूस हुआ कि तेंडुलकर शायद थोड़े दबाव में थे कोलकाता में?

* सौरभ: नहीं, दबाव में तो थे नहीं. देखिए दबाव तो होगा..जबसे क्रिकेट शुरू किया…. और आज तक…. मुंबई टेस्ट तक.. जब तक वो खेलेंगे, वो आखिरी टेस्ट है उनका… दबाव उनके ऊपर होगा.. और थोड़ा दबाव होना जरूरी है क्योंकि उससे परफॉरमेंस अच्छा होता है.. दबाव तो पहला टेस्ट खेलने वाले रोहित शर्मा के ऊपर भी था… उन्होंने शानदार शतक बनाया. तो ये खेल का रीति है. मैं एक चीज समझाऊं.जबसे आप सफेद कपड़े पहनोगे..जिस लेवल में क्रिकेट खेलोगे… अंडर 15, अंडर 17 हो या रणजी ट्रॉफी हो या टेस्ट लेवल हो…. ये प्रेशर ऑफ परफॉरमेंस आपके ऊपर हमेशा रहेगा. और मैं मानता हूं ये प्रेशर ऑफ परफॉरमेंस रहना जरूरी है क्योंकि इससे परफॉरमेंस बेहतर होता है.

* आइबीएन7: सचिन तेंडुलकर के बारे में ये कहा जाता है कि उनका लगाव गेम के साथ इतना है कि शायद ऐट टाइम्स वो परफॉरमेंस एंगजाइटी से सफर करते हैं..आप उनके कप्तान रह चुके हैं. उनके कलीग रह चुके हैं. आपको कभी ऐसा महसूस हुआ कि उनके ऊपर कोई परफारमेंस एनिक्सिटी रहता है?

* सौरभ: देखिए परफॉरमेंस एंगजाइटी हर परफॉरमर पे रहेगा.आप काम करते हैं.आप एक प्रसिद्ध नेटवर्क के लिए काम करते हैं..आपको भी स्टोरी बनाना पड़ता है. तो वो प्रेशर आपके ऊपर भी है. यार आज कुछ अच्छा करना है. कल अच्छा करना है, परसों अच्छा करना है. ये हर इंसान की जिंदगी में है. ये किसी इंसान की जिंदगी में चेंज नहीं होता. किसी का ज्यादा.किसी का कम. और ये सचिन तेंडुलकर की जिंदगी में भी है. मेरी जिंदगी में भी था. रोहित शर्मा की जिंदगी में है. 10 साल बाद जो भारत के लिए खेलेगा. वेस्ट इंडीज के लिए खेलेगा उनके जिंदगी में भी होगा..और जैसा मैंने कहा ये एंगजाइटी होना जरूरी है. क्योंकि आप ऐसे बिंदास जा के कोई मैच नहीं खेल सकते..एंगजाइटी आपके ऊपर होगी तभी परफॉरमेंस अच्छा होगा..

* आइबीएन7: सचिन तेंडुलकर के रिटायरमेंट को.एक तरह से जो वॉयड क्रिएट होगा. ये वॉयड आपको ऐसा लगता है..कभी पूरा हो पायेगा? मतलब आज के दिन के जो क्रिकेटर्स खेल रहे हैं. जैसे विराट कोहली हैं या रोहित शर्मा हैं.वॉयड तो होगा. लेकिन इस को फिल अप किया जा सकता है?

* सौरभ: ये वॉयड इतना जल्दी नहीं फिल अप होगा. सचिन तेंडुलकर का वॉयड इतना जल्दी फिल अप होगा नहीं. क्योंकि इतना महान खिलाड़ी है. रिकॉर्डस कहते हैं कि इतने समय तक खेले. आज कल के क्रि केट में कोई 24-25 साल भारत के लिए नहीं खेल सकता. किसी भी टीम के लिए नहीं खेल सकता..ये सचिन ने ही किया है. और सचिन हो. राहुल द्रविड़ हो. ऐसे प्लेयर्स. वीवीएस लक्ष्मण. अनिल कुंबले.इनके रीप्लेसमेंट में समय लगेगा..ये भी 15-16 साल बाद बने हैं. सचिन तेंडुलकर आज सचिन तेंडुलकर बने हैं 20 साल बाद. ये एक दिन में नहीं बने हैं. लेकिन भारतीय क्रि केट में प्लेयर्स आयेंगे. अच्छे प्लेयर्स आयेंगे.जो परफॉर्म करेंगे. रोहित शर्मा ने पहले टेस्ट में शतक बनाया भारत के लिए..प्लेयर्स हमारे आते रहेंगे. अलग-अलग प्लेयर्स आयेंगे. अलग-अलग तरीके से खेलेंगे.भारतीय क्रि केट को आगे ले के जायेंगे.

* आइबीएन7: सचिन तेंडुलकर के रिटायरमेंट को आप डिफनेटली ..इंड ऑफ ऐन एरा या युगांत जरूर कहेंगे.?

* सौरभ: जरूर एक बहुत बड़ा इंड ऑफ ऐन एरा है और एक समय था जब हम चार खेलते थे भारत के लिए.द्रविड़, तेंडुलकर, मैं और लक्ष्मण. और ये जिंदगी की रीत है. स्पोर्ट्स की रीत है क्योंकि स्पोर्ट्स जिंदगी भर नहीं चल सकता. हर खिलाड़ी को जाना पड़ता है. नये खिलाड़ी आते हैं. दूसरे स्पोर्ट्स में. फुटबॉल हो. टेनिस हो. शायद जल्दी जाते हैं क्रि केट से..सचिन तेंडुलकर खुशकिस्मत हैं. और वो क्रि केट छोड़ने के बाद बैठ के सोचेंगे कि मैंने क्या क्या अचीव किया. वो ऊपर वाले को एक ही चीज कहेंगे कि मुझे आपने जो दिया है. इसके लिए मैं जिंदगी भर आपका शुक्र गुजार हूं. क्योंकि ऐसी चीज सबको नहीं मिलती..और सचिन तेंडुलकर की याद हमें अगले 50 साल रहेगी.

आइबीएन7: आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये शायद पिछले दो साल सचिन तेंडुलकर के कैरियर में उतना हाई नहीं रहा इन टर्म्स ऑफ रन्स.आपको क्या लगता है वर्ल्‍ड कप के बाद ये जो एक सवाल पब्लिक डोमेन में था बहुत दिनों से कि शायद उनको रिटायर करना चाहिए था. आपको क्या लगता है वो थोड़ा ड्रैग किये अपने कैरियर में?

* सौरभ: देखिए रिटायरमेंट किसी इंडीविजुअल के ऊपर है. और वर्ल्‍ड कप में जो उन्होंने परफॉरमेंस किया है क्यूं रिटायर करें उसके बाद? इतना बेहतरीन खेले वो वर्ल्‍ड कप में. वर्ल्‍ड कप था 2011 में और ये 2013 का इंड है. दो साल. जब आपकी उम्र 37-38 हो जाती है. दो साल बहुत लंबे हो जाते हैं. और खिलाड़ी के लिए. जब आप एक उम्र क्रॉस करते हो तो रिफ्लैक्स कम होना शुरू हो जाते हैं. और जितना आपकी उम्र बढ़ती रहती उतना जल्दी कम होता रहता है.तो उसी हिसाब से मैं नहीं मानता 2011 के बाद रिटायर करना चाहिए था. अगर खुद चाहते थे मैंने इतना खेल लिया. बस. तो ठीक है. लेकिन परफॉरमेंस के हिसाब से उनको रिटायर नहीं करना चाहिए था..क्योंकि उन्होंने वर्ल्‍ड कप में बहुत बेहतरीन बैटिंग की थी..

* आइबीएन7: इंडियन बल्लेबाजों को छोड़ कर. जैसे कंटेमप्ररीज जैसे आप, द्रविड़ को छोड़ के. उनके और जो कंटेमप्ररीज थे. जैसे लारा या पोटिंग.मैं इन दोनों की बात खास तौर पर करेंगे. इनमें से आप सचिन तेंडुलकर को कैसे रेट करेंगे?

* सौरभ: देखिए. ये सारे महान खिलाड़ी हैं. लारा हों. पोंटिंग हों. सब अपनी-अपनी टीम के लिए बहुत स्कोर बनाये हैं.. मैं एक तो मानता नहीं हूं कि तुलना करना ठीक होगा. लेकिन अगर आप ये प्रश्न मेरे को पूछेंगे तो मैं यही कहूंगा कि शायद सचिन तेंडुलकर इन तीनों में बड़े हैं. इतना परफॉरमेंस इतने रन्स इतने समय तक भारत के लिए खेले हैं तो शायद इन तीनों में मैं सबसे पहले सचिन तेंडुलकर को ही रखूंगा.

* आइबीएन7: आंकड़ों की बात एक बार फिर लायी जाये तो आपके कप्तानी के दौरान जब सचिन आपकी कप्तानी में खेल रहे थे. उनकी परफॉरमेंस ..बहुत बेहतरीन रही. आपको क्या लगता है कि आप. कप्तान के साथ ऐसे परफॉरमर की जो पर्सनल रिलेशनशिप रहती है और ऑन दि फील्ड जो इक्वेशन रहते हैं इनपे क्या कोई असर पड़ता है?

* सौरभ: जरूर, जरूर. कप्तान प्लेयर बनाता है. कप्तान प्लेयर खराब करता है. ये. क्रिकेट में एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है. देखिए जब मैं कैप्टन था तब शायद सचिन हो. द्रविड़ हो या मैं हूं या लक्ष्मण हो. इन सबका पीक था कैरियर में. 2000 में सचिन 13 साल छोटे थे. 13 साल मतलब 27-28 साल के थे और वो उनका पीक था बैटिंग का. तो इसलिए मैं कभी-कभी कहता हूं कि मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि सारे बड़े प्लेयर के पीक में मैंने भारत की कप्तानी की है.

* आइबीएन7: कोलकाता की डिसमिसल अगर देखी जाये तो थोड़ा बहुत कंट्रोवर्सी उसको ले के हुई है. ये डीआरएस का मुद्दा फिर से सामने आ गया है. आपका एक कनसिसटेंस स्टैंड रहा है कि डीआरएस के पक्ष में हैं प्रोवाइडेड इट इज इंप्लीमेंटेड इन दि राइट मैनर?

* सौरभ: जरूर. क्योंकि तकनीक सही होनी चाहिए डीआरएस की. जो इस समय नहीं है..आपने एशेज में देखा. अब इंगलिश प्लेयर. ऑस्ट्रेलियन प्लेयर वो कह रहे हैं कि नहीं डीआरएस सही नहीं है. ये फुलप्रूफ होना चाहिए.. अगर 100 परसेंट वो फुलप्रूफ नहीं होते तो फिर गलत निर्णय दिया जाता है क्योंकि एंगल्स अलग होते हैं. फिर कांटेक्ट प्वाइंट कुछ एकदम अलग लगता है..शायद आज अगर डीआरएस होता तो सचिन नाट आउट होते. गेंद बहुत ऊपर लगी थी. पर जैसे हर चीज में थोड़ा-सा खराब, थोड़ा अच्छा है. डीआरएस में भी है..

* आइबीएन7: आप उनको बहुत करीब से देखे हैं. उन जैसे परफॉमरमर को. आपको क्या लगता है कि वह रिटायरमेंट कैसे हैंडल कर पायेंगे. बड़ा सवाल..?

* सौरभ: हैंडल कर पायेंगे.क्योंकि जब कोई आदमी रिटायरमेंट लेता है. सोच समझ कर लेता है. ये एक दिन का डिसीजन नहीं है..उन्होंने अपने भविष्य की. और आगे की जिंदगी कैसे बितायेंगे. सोच के ही ये डिसीजन लिया है. और देखिए एक चीज सब प्लेयर्स को मानना पड़ेगा. वो तेंडुलकर हो. गांगुली हो. रोहित शर्मा हो. जो आज खेल रहे हैं..10-12 साल बाद वो भी रिटायर हो जायेगा..ये एक अल्टीमेट चीज है स्पोर्ट्समैन के लिए. जो होना ही होना है..जैसे हम पैदा होते हैं और एक ना एक दिन गुजर जाते हैं तो रिटायरमेंट भी स्पोर्ट्समैन की जिंदगी में एक ऐसी चीज है जो होने ही वाली है.

* आइबीएन7: उनके पुराने साथी विनोद कांबली ने सलाह दी है कि कि वो.टीम इंडिया का मेंटर बन जाये.. क्या आप सहमत हैं?

* सौरभ: देखिए बन तो कुछ भी सकते हैं.लेकिन वो चाहते क्या हैं. वो इपोर्टेंट है..मेंटर बनना मतलब टीम के साथ घूमना..इतना समय देना..इतने साल से क्रि केट खेले हैं. इतने साल फैमली छोड़ कर रहे. तो मुझे नही लगता ये चीज वो इतनी जल्दी करेंगे. अगले 5-6 साल बाद क्या होता है देखा जायेगा. लेकिन अब रिटायरमेंट के बाद शायद वो अपने परिवार के साथ समय बितायेंगे क्योंकि बहुत समय तक वो घर छोड़ कर रहे हैं.

* आइबीएन7: आखिरी सवाल. आप उनके सिर्फकप्तान ही नहीं. कलीग ही नहीं. दोस्त भी रह चुके हैं..आपका कोई यादगार क्षण तेंडुलकर के साथ?

* सौरभ: बहुत सारी यादे हैं तेंडुलकर की..जब पहली बार मैं मिला था. 14 साल की उम्र में इंदौर में. अंडर 14 नेशनल कैंप में. तब मैंने छोटा-सा एक प्लेयर देखा था. इतने बड़े बाल थे उसके. तब भी. नेट में सिर्फ बैटिंग ही करता था वो..तो बासु सर हमारे कोच थे. वो कभी-कभी बोलते थे कि चलो अब बाहर जाना है क्योंकि दूसरे बल्लेबाजों को भी मौका देना है नेट में बैटिंग करने के लिए..तो ये चीज मैंने कम उम्र में देखा कि क्रिकेट खेलने की इतनी इच्छा. और इसलिए शायद आज इस मोड़ पे खड़े हैं जिंदगी के. और इतने समय तक खेले. क्योंकि अगर आप इस गेम को प्यार नहीं करोगे तो इतने समय तक नहीं खेल सकते.

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