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विश्वकप क्रिकेट के फाइनल का टिकट कटाने के लिए कल ऑकलैंड में आमने-सामने होंगे न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका

आकलैंड: विश्व कप में शुरु से लेकर अब तक अंतिम चार तक की सीढी आसानी से पार करने वाले न्यूजीलैंड के सामने फिर से सेमीफाइनल का मिथक तोडने की चुनौती है और इसके लिये उसे एक ऐसी टीम दक्षिण अफ्रीका से भिडना है जो आज तक कभी इस मुकाम से आगे बढने में सफल नहीं […]

आकलैंड: विश्व कप में शुरु से लेकर अब तक अंतिम चार तक की सीढी आसानी से पार करने वाले न्यूजीलैंड के सामने फिर से सेमीफाइनल का मिथक तोडने की चुनौती है और इसके लिये उसे एक ऐसी टीम दक्षिण अफ्रीका से भिडना है जो आज तक कभी इस मुकाम से आगे बढने में सफल नहीं रही.

न्यूजीलैंड रिकार्ड सातवीं बार सेमीफाइनल में पहुंचा है. पिछले छह अवसरों पर उसे हार का सामना करना पडा था लेकिन इस बार उसने अजेय रहकर अंतिम चार में प्रवेश किया है. दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका है जो ‘चोकर्स’ का दाग साफ करने के लिये प्रतिबद्ध है.दक्षिण अफ्रीका ने चौथी बार सेमीफाइनल में कदम रखा है. इससे पहले तीन अवसरों पर वह फाइनल में पहुंचने में असफल रहा था. इसलिए इस बार इतना तय है कि इनमें से कोई एक टीम सेमीफाइनल का मिथक तोडने में सफल रहेगी और पहली बार विश्व कप फाइनल में पहुंचेगी.

लेकिन सेमीफाइनल का दर्द दक्षिण अफ्रीका से अधिक न्यूजीलैंड को सालता है. कीवी टीम ने 1975 में पहले विश्व कप में भी अंतिम चार में जगह बनायी थी लेकिन बाद में चैंपियन बने वेस्टइंडीज ने उसे पांच विकेट से हरा दिया था. ओवल में खेले गये मैच में ब्रेंडन जुलियन ( 27 रन देकर चार विकेट) की शानदार गेंदबाजी के सामने न्यूजीलैंड की टीम 158 रन पर ढेर हो गयी. एल्विन कालीचरण (72) और गोर्डन ग्रीनिज (55) के अर्धशतकों से कैरेबियाई टीम ने आसानी से लक्ष्य हासिल कर दिया.

इसके चार साल बाद 1979 में फिर से न्यूजीलैंड की टीम सेमीफाइनल में पहुंची लेकिन इस बार मेजबान इंग्लैंड ने नौ रन से करीबी जीत दर्ज करके उसकी राह रोक दी. इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए आठ विकेट पर 221 रन बनये जिसमें ग्राहम गूच ( 71 ) और माइक ब्रेयरली ( 53 ) के अर्धशतक शामिल हैं. न्यूजीलैंड के सामने बहुत बडा लक्ष्य नहीं था लेकिन उसकी टीम नौ विकेट पर 212 रन ही बना पायी. ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले गये इस मैच में जान राइट ने उसकी तरफ से सर्वाधिक 69 रन बनाये.

न्यूजीलैंड 1983 और 1987 में सेमीफाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहा लेकिन जब पहली बार 1992 में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने विश्व कप की मेजबानी की तो मार्टिन क्रो की अगुवाई वाली टीम ने शुरु से ही बेहतरीन प्रदर्शन किया. उसने बडी आसानी से सेमीफाइनल में जगह बनायी लेकिन इस बार पाकिस्तान उसकी राह में रोडा बन गया जिसने बमुश्किल अंतिम चार में प्रवेश किया था.

पिछली बार भी कीवी टीम ने आकलैंड में ही सेमीफाइनल खेला था. उसकी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मार्टिन क्रो के 91 और केन रदरफोर्ड के 50 रन की बदौलत सात विकेट पर 261 रन बनाये. पाकिस्तान ने हालांकि छह विकेट पर 264 रन बनाकर उसका यह स्कोर बौना साबित कर दिया. पाकिस्तान ने फाइनल में जगह बनायी और फिर पहली बार खिताब जीतने में भी सफल रहा. न्यूजीलैंड के खिलाफ उसकी तरफ से इंजमाम उल हक ने 60 और जावेद मियादाद ने नाबाद 57 रन बनाये थे.

पाकिस्तान ने ही 1999 में फिर से न्यूजीलैंड का फाइनल में पहुंचने का सपना पूरा नहीं होने दिया था. न्यूजीलैंड की यह हार ज्यादा करारी थी क्योंकि पाकिस्तान ने सईद अनवर ( नाबाद 113 ) के शतक और वजाहतुल्लाह वस्ती ( 84 ) के बीच पहले विकेट के लिये 194 रन की साङोदारी से न्यूजीलैंड के सात विकेट पर 241 रन के स्कोर को आसानी से पार कर दिया था.

भारत और पाकिस्तान के पहले दौर में बाहर होने के कारण विश्व कप 2007 में न्यूजीलैंड के लिये अंतिम चार में जगह बनाना मुश्किल नहीं रहा लेकिन यहां पर श्रीलंका ने उसे आगे नहीं बढने दिया. श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए माहेला जयवर्धने के नाबाद 115 रन और उपुल थरांगा के 73 रन की मदद से पांच विकेट पर 289 रन बनाये और फिर आफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ( 31 रन देकर चार विकेट ) की कमाल की गेंदबाजी से न्यूजीलैंड को 208 रन पर ढेर कर दिया. इस तरह से श्रीलंका ने यह मैच 81 रन से जीता था.

खेल कप सेमीफाइनल तीन अंतिम न्यूजीलैंड 2011 में भी सेमीफाइनल का ठप्पा नहीं हटा पाया था और इस बार भी उसे श्रीलंका ने मायूस किया. हर बार की तरह कीवी टीम इस मैच में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी और 217 रन पर आउट हो गयी. श्रीलंका ने तिलकरत्ने दिलशान ( 73 ) और कुमार संगकारा ( 54 ) के अर्धशतकों की मदद से आसानी से लक्ष्य हासिल कर लिया.

अब सातवीं बार कीवी टीम अपना भाग्य बदलने की कोशिश करेगी. उसकी टीम ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है और सभी मैच जीतने में सफल रही है. उसके बल्लेबाज मार्टिन गुप्टिल, केन विलियमसन, ब्रैंडन मैकुलम, रोस टेलर सभी योगदान दे रहे हैं जबकि केन रिचर्डसन ने आलराउंडर की भूमिका अच्छी तरह से निभायी. ट्रेंट बोल्ट और टिम साउथी जैसे तेज गेंदबाज और डेनियल विटोरी के रुप में अनुभवी स्पिनर होने के कारण उसका गेंदबाजी आक्रमण सबसे मजबूत माना जा रहा है.

लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने भी लीग चरण में दो हार के बावजूद अपनी कमजोरियों से निजात पा लिया है. वह क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका पर एकतरफा जीत दर्ज करके ‘चोकर्स’ का पहला दाग मिटाने में सफल रहा है. दक्षिण अफ्रीका ने 1992 में पहली बार विश्व कप में हिस्सा लिया और तब से वह तीन बार सेमीफाइनल में पहुंचा है.

दक्षिण अफ्रीका 1992 में ही सेमीफाइनल में पहुंच जाता लेकिन बारिश के नियम के कारण उसे एक गेंद पर 21 रन बनाने के लिये कहा गया और आखिर में वह इंग्लैंड से 20 रन से हार गया। इसके बाद 1999 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ उसका मैच टाई छूटा लेकिन सुपर सिक्स की तालिका में पीछे रहने के कारण दक्षिण अफ्रीका फाइनल में पहुंचने से चूक गया.

वेस्टइंडीज में 2007 में खेले गये विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका की टीम सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से मुकाबला ही नहीं कर पायी. उसकी टीम 149 रन पर ढेर हो गयी और आस्ट्रेलिया ने 32वें ओवर में तीन विकेट खोकर जीत दर्ज कर ली.

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