नयी दिल्ली : आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बीसीसीआई को निर्देश दिया कि वह अपना चुनाव टाले. कोर्ट ने मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर चार फिक्सरों के नाम का भी खुलासा किया. इसके बाद बीसीसीआई की आम बैठक को स्थगित कर दिया गया.
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर ने 20 नवंबर को होने वाली वार्षिक आम बैठक ( एजीएम ) स्थगित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह इस क्रिकेट संस्था के संविधान के खिलाफ है. बीसीसीआई के वकील ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि जैसे ही यह खुलासा हुआ कि स्पॉट फिक्सिंग पर मुद्गल समिति की जांच के दायरे में एन श्रीनिवासन भी शामिल थे, उसके तुरंत बाद एजीएम को स्थगित कर दिया गया.
उन्होंने कहा, सुनवाई के दौरान जैसे ही श्रीनिवासन और मयप्पन के नामों का खुलासा हुआ, बोर्ड के वकील ने 20 नवंबर को होने वाली एजीएम और चुनावों को टालने का आग्रह किया. कार्यकारी समिति जब एक बार एजीएम की तिथि तय कर देती है तो फिर बोर्ड का एक पदाधिकारी उन्हें नहीं टाल सकता क्योंकि उन्हें उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. मनोहर ने कहा कि बीसीसीआई संविधान के अनुसार कार्यकारी समिति और आम सभा का फैसला अंतिम होता है.
कार्यकारी समिति की बैठक में जिसमें श्रीनिवासन भी शामिल थे, ने एजीएम की तिथि 20 नवंबर इस उम्मीद के साथ तय की थी कि श्रीनिवासन और मयप्पन का नाम रिपोर्ट में शामिल नहीं होगा. मनोहर ने हैरानी जतायी कि यदि जांच और सुनवाई में समय लगता है तो बोर्ड के कामकाज का क्या होगा.