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चैत्र नवरात्रि: जानिए क्यों की जाती है नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा

दुर्गा , जो एक स्त्री वाचक शब्द है और यह शब्द मां दुर्गा के लिए उपयोग में लाया जाता है. हिंदू धर्म में मां दुर्गा का स्थान सबसे उपर है .दुर्गा शब्द का निर्माण दुर्ग शब्द से हुआ है दुर्ग का मतलब होता है अभेद किला जिसे कोई जीत ना सके अर्थात जो अजेय हो.हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है समस्त प्रकृति स्त्री स्वरूप है इस मूल से ही संपूर्ण सृष्टि का निर्माण हुआ है .इसी मूल प्रकृति से ब्रह्मा विष्णु और महेश का निर्माण हुआ है और इन सबके मूल में जो परम शक्ति काम करती है वह दुर्गा ही है जिसे मां दुर्गा कहा जाता है .मां दुर्गा के अलग-अलग अवतार भी हैं .

दुर्गा , जो एक स्त्री वाचक शब्द है और यह शब्द मां दुर्गा के लिए उपयोग में लाया जाता है. हिंदू धर्म में मां दुर्गा का स्थान सबसे उपर है .दुर्गा शब्द का निर्माण दुर्ग शब्द से हुआ है दुर्ग का मतलब होता है अभेद किला जिसे कोई जीत ना सके अर्थात जो अजेय हो.हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है समस्त प्रकृति स्त्री स्वरूप है इस मूल से ही संपूर्ण सृष्टि का निर्माण हुआ है .इसी मूल प्रकृति से ब्रह्मा विष्णु और महेश का निर्माण हुआ है और इन सबके मूल में जो परम शक्ति काम करती है वह दुर्गा ही है जिसे मां दुर्गा कहा जाता है .मां दुर्गा के अलग-अलग अवतार भी हैं .

हिंदू धर्म में वैदिक ग्रंथों के अनुसार और पुराणों में वर्णित यह सार है कि इस सृष्टि का जो मूल आधार है वह मां दुर्गा ही है .मां दुर्गा के द्वारा ही ब्रह्मा विष्णु और महेश का निर्माण किया गया है और इस प्रकृति का कार्य आगे बढ़ाया गया है ब्रह्मा विष्णु महेश इन तीनों देवताओं की पूज्य मां दुर्गा ही है.मां दुर्गा समय-समय पर अलग-अलग रूप रखकर इस सृष्टि का संहार करती हैं मां दुर्गा के द्वारा ही पूर्व काल में अति बलशाली राक्षसों का विनाश किया गया है

शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि ब्रह्मांड की संपूर्ण शक्ति मां दुर्गा ही है. मां दुर्गा ही प्रकृति का स्वरूप है क्योंकि प्रकृति भी सभी चीजों को जन्म देती है और जन्म देने की शक्ति केवल मां दुर्गा में ही है अर्थात स्त्री में ही समस्त शक्ति समाई होती है उस शक्ति से ही समस्त ऊर्जा और स्वरूपों का निर्माण होता है. यह ब्रह्मांड पृथ्वी ,आकाश ,जल ,थल ,वायु ,अग्नि ये पांच मूल तत्व से बना है जिनके बगैर किसी भी जीव निर्जीव का जन्म नहीं होता और इन सभी शक्तियों की मूल तत्व मां दुर्गा है.

देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं जिनकी उपासना नवरात्र में की जाती है .हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का खास महत्‍व होता है. चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है और शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की जीत का प्रतीक है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने की अलग-अलग वजहें हैं. ऐसी मान्‍यता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था. बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं. ऐसे में इन नौ दिनों को नव दुर्गा उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है.

दुर्गा के 9 स्वरूप के बारे में जानें-

1) 25 मार्च : प्रतिपदा प्रथमा तिथि, नवरात्र आरंभ, घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा इस दिन होगी साथ ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत आज हो गई.

-शैलपुत्री का अर्थ होता है पहाड़ों की पुत्री.

2) 26 मार्च : द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी.

– इस दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की अराधना की जाती है.

3) 27 मार्च : तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी.

– चंद्रघंटा का अर्थ होता है चाँद की तरह चमकने वाली

4) 28 मार्च : चतुर्थी तिथि, मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी.

– कूष्माण्डा का अर्थ कहता है कि पूरा जगत उनके ही पैर में है

5) 29 मार्च : पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी.

– स्कंदमाता अर्थात कार्तिक स्वामी की माता

6) 30 मार्च : षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी.

– कात्यायनी का अर्थ है कात्यायन आश्रम में जन्म ली हुई.

7) 31 मार्च : सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी.

-कालरात्रि मतलब जो काल का नाश करने वाली हो.

8) 1 अप्रैल : अष्टमी तिथि, मां महागौरी की पूजा की जाएगी.

-महागौरी का अर्थ है सफेद रंग वाली मां.

9) 2 अप्रैल : नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्रि की पूजा की जाएगी.

– सिद्धिदात्री मतलब जो सर्वसिद्धि देने वाली हो.

Prabhatkhabar.com की तरफ से आप सबों को हिंदू नूतन वर्ष व चैत्र नवरात्र की अनेकों शुभकामनाएं. इस नवरात्र व नव वर्ष में हम आपके बेहतर सेहत की कामना करते हैं और देश के लिए चुनौती बने कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए अपने – अपने घरों में ही सुरक्षित रहने की अपील करते हैं.

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