अल्लाह की तरफ से तमाम मुसलमानों के लिए ईद-उल-फितर का दिन खुशियां मनाने का दिन है. ईद के माने ही खुशी के होते हैं. जिन मोमिनों ने अल्लाह का हुक्म माना और रमजान महीने के सारे रोजे रखे, उनके लिए तो सबसे ज्यादा खुशी का दिन है. आखिरी रोजे के दिन इफ्तार के बाद मगरिब के वक्त ईद का चांद देखने के बाद ही अगले दिन ईद मनायी जाती है.
चांद रात यानी ईद की रात बहुत ही पाकीजा रात होती है. तमाम मुसलमानों को ईद की रात में खूब इबादत करनी चाहिए. इसका बहुत सवाब मिलता है. जिन लोगों ने रमजान के पूरे महीने में अपने नफ्स पर काबू रखा और जिस चीज के वे आदी थे, उसे करने से खुद को रोका, उनके लिए चांद रात में अल्लाह रहमतों के फैसले फरमाता है.
अल्लाह खुद ही इस दिन अपने बंदों को एक महीने रोजे रखने का बड़ा ही नेक बदला देता है. दरअसल, तमाम इबादताें में रोजे रखना एक ऐसी इबादत है, जिसका नेक से नेकतर बदला अल्लाह अपने प्यारे बंदों को खुद देता है, जबकि दूसरी सभी इबादतों का नेक बदला अल्लाह के फरिश्ते अल्लाह के बंदों तक पहुंचाते हैं. इस ऐतबार से रमजान का महीना एक अफजल महीना है और ईद की खुशी एक पुरसुकून वाली खुशी है.
ईद का चांद देखने के बाद अक्सर लोग बहुत ज्यादा उत्साह में आकर पार्टियां वगैरह करने लगते हैं, जो कि गलत है. खुशी मनाने का अर्थ यह नहीं है. हजरत अबू अमामा (रजि.) ईद की रात के बारे में पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.) से नकल फरमाती हैं कि जिसने ईदैन की रातों में खास सवाब की उम्मीद के साथ अच्छी तरह से इबादतें की, आखिरत के खौफ से उसका दिल मुर्दा नहीं होगा. यानी ईदेन की रातों में इबादत करनेवाले का दिल कयामत के दिन बेहद पुरसुकून होगा. अगले दिन सुबह उठ कर दो रकात फजर की नमाज अदा करें.
फिर अच्छी तरह गुसल करके नये कपड़े पहन कर खुश्बू लगा कर तैयार हो जायें. फितरा अदा करें और मीठी चीज खाकर ही दोगाने की नमाज अदा करने ईदगाह जायें. ध्यान रहे, ईदगाह जिस रास्ते से जायें, नमाज के बाद दूसरे रास्ते से वापस घर आयें. सबसे गले मिलें और ईद की मुबारकबाद दें.
– मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर