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गरीब व किसान कल्याण को समर्पित बजट

दुनियाभर में आर्थिक मंदी के बावजूद सभी कर यथावत रखते हुए ऐसा विकासात्मक बजट पेश करना करिश्माई ही कहा जा सकता है.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बजट की संकल्पना के बारे में बताया कि यह अगले 25 वर्ष के भारत का ब्लूप्रिंट है. मतलब यह आज की जरूरतों की ही बात नहीं करता, इसमें भविष्य के भारत की झलक दिखाने का प्रयास भी किया गया है. आगामी वर्षों में भारत किस दिशा में जायेगा, हमारे गांव कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे, गरीब, वंचित, किसान, नौजवान, महिला, बुजुर्ग कैसे आत्मसम्मान, स्वाभिमान और समृद्धि की ओर बढ़ रहे होंगे, कैसे अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होगा, सबसे निचले पायदान के लोगों की क्रय शक्ति कैसे बढ़ेगी, इसकी नींव इस बजट में रखी गयी है.

सरकार ने ईमानदारी से यह बताने और जताने की कोशिश भी की है कि हम अभी कहां खड़े हैं और हमें कैसे आगे बढ़ना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांव, गरीब व किसान कल्याण के लिए कितनी नूतन और नवोन्मेषी दृष्टि रखते हैं तथा इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे और भी मजबूती देने का दृढ़निश्चय उनके मन में है, ये बातें बजट के प्रस्तुतीकरण में दिखी हैं. रोजगार सृजन, युवाओं के लिए नये मौके और आत्मनिर्भरता को लेकर अभिमानी विचार भी साफ तौर पर इस बजट का हिस्सा हैं.

आम बजट का एक महत्वपूर्ण पहलू है गरीब का कल्याण. हर गरीब के पास पक्का घर हो, उसके घर में नल से जल आता हो, उसके पास शौचालय हो, गैस की सुविधा हो, इन पर विशेष ध्यान दिया गया है. जब गरीब की क्रयशक्ति बढ़ेगी, तभी अर्थव्यवस्था में गतिशीलता आयेगी तथा जब अर्थव्यवस्था गतिशील होगी, तो सब बढ़ेंगे. सरकार ने गरीबों के लिए तमाम योजनाएं देकर उसके सपनों को पूरा करने का काम किया है.

देश में करोड़ों लोगों के पास अपना घर होने का सपना सरकार ने पूरा किया है. रसोई गैस, बिजली, नल से पानी, आयुष्मान भारत का स्वास्थ्य रक्षा कवच और पेंशन, सब्सिडी आदि कई सीधी मदद सरकार ने दी है. अभी कोरोना की विभीषिका से हम पूरी तरह उबर नहीं पाये हैं, ऐसे में सरकार द्वारा 80 करोड़ लोगों को दिये गये खाद्य सुरक्षा के कवच ने कैसे मदद की है, यह सब जानते हैं. गरीब के हाथ को सरकार ने पकड़ कर उसे सहारा दिया है.

किसान के साथ भी सरकार कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नाम पर बहुत भ्रांतियां फैलायी गयीं, इसके बावजूद बजट में उसका आधार बढ़ा कर फिर से संबल दिया है. ढाई लाख करोड़ रुपये तो केवल धान की खरीद से ही किसानों को मिलने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही है. अपने संदेश में उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए लागू योजनाओं का जिक्र कर किसान हितैषी सरकार के अपने संकल्प और उसकी पूर्ति के साधनों पर विस्तार से बात की.

अन्य उपायों के साथ उन्होंने फर्टिलाइजर पर 60 हजार करोड़ रुपये का बजट बढ़ाया है, ताकि विदेशी बाजार में इसके बढ़े दामों का बोझ किसानों पर न आये. तिलहन आयात बंद करने की योजना भारतीय किसानों को संबल प्रदान करेगी.

किसानों के लिए सबसे बड़ी बात जैविक खेती या जीरो बजट खेती का प्रोत्साहन है. गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा देने से बड़ा सामाजिक और आर्थिक बदलाव आयेगा. किसान की रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता घटेगी, तो खेती की लागत कम होगी. साथ ही, बाजार में जैविक उत्पाद अधिक मूल्य पर बिकेगा. इसका सीधा असर किसान की क्रय शक्ति बढ़ने के रूप में होगा. इससे अर्थव्यवस्था को बहुत गति मिलेगी.

सामाजिक बदलाव भी होगा, जो मां गंगा की स्वच्छता, धार्मिक आस्था और पवित्रता से जुड़ा है. नदी स्वस्थ रहेगी, तो पारिस्थितिकी में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. एक तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक और सांस्कृतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का भी विषय है. कृषि क्षेत्र में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं नवाचार के लिए स्टार्टअप की आवश्यकता पर बल अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक दूरगामी परिणाम देनेवाला होगा.

ग्रामीण भारत को सस्ती किफायती ब्रॉडबैंड की सुविधा से असीम संभावनाएं जन्म लेंगी, जो कृषि आधारित उद्योगों के लिए भी एक बूस्टर डोज होगा. कोरोना महामारी के चलते व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र मजबूत बना है. सरकार इस बजट के माध्यम से इसे और मजबूत बनाने को संकल्पित है.

दुनियाभर में आर्थिक मंदी के बावजूद सभी कर यथावत रखते हुए ऐसा विकासात्मक बजट पेश करना करिश्माई ही कहा जा सकता है. कोरोना के कारण बढ़े घाटे के बावजूद करों में बढ़ोतरी नहीं करना आम लोगों के हित में है. एक साल में 60 लाख नयी नौकरियों के सृजन की बात युवाओं के लिए बड़ी सौगात है. बजट में स्टार्टअप पर सरकार ने फोकस किया है.

छोटे व मझोले उद्यम क्षेत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर देने से नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में व्यापक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे. क्षेत्रीय विषमताओं में संतुलन लाने की आवश्यकता पर सरकार ने जोर दिया है. बजट का आकार 39.45 लाख करोड़ है. पिछले साल के मुकाबले सरकार इस बार पौने दो लाख करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करेगी. मुख्य रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर पूंजीगत खर्च को बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जो जीडीपी का 2.9 प्रतिशत है.

इस वर्ष 20 हजार करोड़ रुपये से 25 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे का निर्माण होगा. रक्षा बजट का 68 प्रतिशत हिस्सा भारतीय निर्माताओं पर खर्च होगा. आगामी तीन वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना से विकास को नयी मजबूती देगी. स्वाभाविक रूप से इन खर्चों से मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. जनसामान्य को भी कारोबार और रोजगार के रूप में इसका लाभ मिलना तय है.

यह बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लाखों स्थायी रोजगार भी सृजित करेगा. यह बजट गांव, गरीब, किसान, युवा व महिलाओं की प्रगति तथा बुजुर्गों के सम्मान का बजट है. गरीब हितैषी बजट देकर सरकार ने बताया है कि उसकी प्राथमिकता में गरीब और किसान सबसे ऊपर है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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