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अब साइबर फिरौती का दौर

आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in हिंदी पट्टी में अपहरण और फिरौती की घटनाओं से हम सभी लोग वाकिफ हैं. एक दौर था जब ये घटनाएं आम थीं, हालांकि गाहेबगाहे अब भी ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं. जानेमाने फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने तो इसी कथानक पर गंगाजल नामक फिल्म ही बना […]

आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक
प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
हिंदी पट्टी में अपहरण और फिरौती की घटनाओं से हम सभी लोग वाकिफ हैं. एक दौर था जब ये घटनाएं आम थीं, हालांकि गाहेबगाहे अब भी ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं. जानेमाने फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने तो इसी कथानक पर गंगाजल नामक फिल्म ही बना डाली थी. फिल्म चली भी खूब. यह एक दौर की सच्चाई को सामने लाती है. इसके बाद दहेज के तोड़ के रूप में वर का अपहरण कर उसकी जबरदस्ती शादी करा देने का दौर चला. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नजर डालें, तो सोमालिया से ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती रहती हैं कि किसी जहाज का सोमालियाई लुटेरों ने अपहरण कर लिया और फिरौती की मांग की है. ऐसी सूचनाएं हैं कि बहुत बार लोगों को छुड़ाने के लिए फिरौती भी अदा की गयी.
मैं इन घटनाओं को इसलिए याद दिला रहा हूं क्योंकि पिछले दिनों हमने साइबर हमले के रूप में एक नया दौर देखा. अब तक इंटरनेट पर वायरस से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन इतना बड़ा साइबर हमला हमने पहले कभी देखा सुना नहीं था. कहा जा रहा है कि रैनसमवेयर नामक इस वायरस के हमले से दुनिया के लगभग 150 देश प्रभावित हुए. कुछेक देशों की सेवाएं तो बुरी तरह प्रभावित हुईं और भारत जैसे कुछेक देशों पर इसका आंशिक असर रहा. लेकिन गंभीर चिंता का विषय है कि ऐसी पुख्ता सूचनाएं हैं कि इस वायरस से अपनी प्रणाली को बचाने के लिए अनेक लोगों और संस्थाओं ने फिरौती अदा की. यह अपने तरह का पहला मामला है. ऐसा भी माना जा रहा है कि यह साइबर फिरौती के दौर की शुरुआत है.
जैसी सूचनाएं आयीं हैं कि रैनसमवेयर वायरस ने कई सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित किया. बीबीसी के अनुसार इससे ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा और जर्मनी की ट्रेन सेवा बाधित हुई. रूसी गृह मंत्रालय के कंप्यूटर और चीन के पेट्रोल पंप की भुगतान प्रणाली बाधित हुई. निसान, रेनॉ और हिताची की फैक्टरियां ठप हो गयीं. स्पेन की दूरसंचार प्रणाली और गैस सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हुई. भारत पर भी आंशिक असर हुआ, लेकिन यह आंध्र प्रदेश के पुलिस नेटवर्क तक सीमित रहा. केरल के कुछ सरकारी कार्यालय और निसान का चेन्नई संयंत्र भी प्रभावित हुआ. भारत को भी एक एडवाइजरी जारी करनी पड़ी और कई राज्यों में वायरस के खतरे को देखते हुए एटीएम में बंद कर देने पड़े, जिससे पैसों का लेन-देन प्रभावित हुआ और लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
रैनसमवेयर वायरस केवल उन्हीं कंप्यूटरों को अपना शिकार बनाता है, जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कंप्यूटर की किसी फाइल को लॉक कर देता है और फिर बिना फिरौती अदा किये समस्या नहीं सुलझती. हालांकि इससे प्रभावित अनेक संस्थानों और संगठनों ने यह नहीं बताया है कि इस समस्या से उन्होंने कैसे निजात पायी. विशेषज्ञों का कहना है कि रैनसमवेयर नयी चीज नहीं है, यह ‘वानाक्राइ’ वायरस का ही स्वरूप है. लेकिन इस बार यह हमला बहुत व्यापक था.
इस हमले के बाद आपकी फाइल लॉक हो जाती है, जिसे खोलने के बदले में फिरौती के रूप में 300 डॉलर की रकम मांगी जाती थी और उसे एक ऐसे खाते में डालने के लिए कहा जाता था जो वर्चुअल करेंसी, बिटकॉइन कहलाता है और तकनीकी भाषा में कहें कि वह इतना एनक्रिपटेड होता है कि उस खाते तक पहुंचना बेहद मुश्किल होता है.
तीन दिन बाद फिरौती की रकम दोगुनी हो जाती है और रकम न चुकाने की दशा में सात दिन बाद फाइल डिलीट हो जाती है. ऐसी अपुष्ट सूचनाएं हैं कि रैनसमवेयर वायरस से फिरौती के रूप में एक लाख डॉलर की रकम वसूली गयी है.
भारत में डिजिटल इंडिया की कोशिशें तेज हुईं हैं. हमारी पूरी बैंकिंग प्रणाली, क्रेडिट कार्ड सिस्टम, आधार कार्ड, कर प्रणाली और अन्य सरकारी व्यवस्थाएं इंटरनेट से जुड़ी हुई है. अक्सर सुनने में आता है कि फलां संस्था की वेबसाइट हैक हो गयी, लेकिन ये वेबसाइटें इतनी चाकचौबंद नहीं होतीं जितने बैंकिंग या अन्य सार्वजनिक सेवाओं की प्रणाली चुस्त होती हैं. हालांकि निजी कंप्यूटरों पर कम खतरे की बात कही जा रही है.
लेकिन हमारे एटीएम में विंडोज सिस्टम काम करता है और साइबर हमला भी विंडो सिस्टम के माध्यम से किया गया था. उन पर खतरा था, इसी वजह से कई बैंकों ने अपने एटीएम कुछ दिनों के लिए बंद रखे.
एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया है कि भारत में अब भी बड़ी संख्या में पायरेटेड यानी नकली विंडो का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें बड़ी संख्या निजी कंप्यूटरों की होती है. अधिकांश संस्थानों में असली सॉफ्टवेयर का ही इस्तेमाल होता है. लेकिन पायरेटेड सॉफ्टवेयर असली की तरह नेटवर्क से नहीं जुड़े हुए होते हैं, इनमें कोई अपडेट नहीं आते. यही कारण है कि ये कंप्यूटर ऐसे साइबर हमलों से बच जाते हैं.
इस साइबर हमले का उद्देश्य दुनियाभर में दहशत फैलाना था. यह भी सच्चाई है कि ये हमले अब यहीं रुकेंगे नहीं. यह भारत समेत दुनिया के सभी मुल्कों को चेतावनी भी हैं कि अब पारंपरिक जंग के अलावा एक नया मोरचा खुल गया है और उन्हें इस बारे में सोचना होगा और इससे निबटने के लिए रणनीति तैयार करनी होगा. अन्यथा सारी अहम व्यवस्थाएं ठप हो जाएंगी और देश में अफरातफरी मच सकती है. भारत में इनको लेकर अभी तक निश्चिंतता का भाव है.
इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं. वर्ष 2013 में एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति बनायी गयी थी, उसके बाद से इस दिशा में कोई सुनियोजित प्रयास नहीं हुअा है, जबकि आइटी के क्षेत्र में दुनियाभर में हमें बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है. यदि भारत अपनी विशेषज्ञता से इनसे निबटने में दुनिया की मदद कर पाये, तो बेहतर होगा.

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