धरती आबा की सरजमीं पर फिर से उलगुनान की आहट सुनने देखने को मिल रही है. बीएड प्रशिक्षण करने की रकम दोगुनी करने के कारण जहां पिछले दो वर्षो से गरीब छात्र मजबूरन बीएड नहीं कर पा रहे हैं, वहीं इस बार मनमाने ढ़ग से छात्रवृति में भारी कमी लाकर इसे 50,000 से घटा कर 15,000 कर दी गयी है. गरीब झारखंड की अमीर सरकार आखिर चाहती क्या है? क्या गरीब छात्र शिक्षक न बने? क्या यहां भविष्य कोई गरीब में बीएड न कर पाये, ताकि बीएड योग्यता वाले न के बराबर रह जाये. अगर सरकार ऐसा ही चाहती है, तो होने वाले छात्र क्रांति को उग्र रूप होने से कोई नहीं रोक सकता.
हरिश्चन्द्र महतो, चक्रधरपुर