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दुआ करें कि ऐसा चुनाव में न हो!

।।एमजे अकबर।।(वरिष्ष्ठ पत्रकार)जो संकट भारतीय क्रिकेट को डुबोने की धमकी दे रहा है, उसका कोई लेना-देना सट्टेबाजी से नहीं है. इसका संबंध सिर्फ और सिर्फ बेईमानी से है. जुए का सार अनिश्चितता में छिपा है. इस सिद्धांत में कि आप नतीजों को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकते. अनुमान लगाने की कला को साधने में काफी […]

।।एमजे अकबर।।
(वरिष्ष्ठ पत्रकार)
जो संकट भारतीय क्रिकेट को डुबोने की धमकी दे रहा है, उसका कोई लेना-देना सट्टेबाजी से नहीं है. इसका संबंध सिर्फ और सिर्फ बेईमानी से है. जुए का सार अनिश्चितता में छिपा है. इस सिद्धांत में कि आप नतीजों को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकते. अनुमान लगाने की कला को साधने में काफी धन और जीवन का काफी समय खर्च होता है. यह कला आंकड़ों और अंतर्दृष्टि के मिलान पर निर्भर करती है. पर आप इसमें भले ही कितने भी पारंगत क्यों न हों, जुआ आखिरकार आशावाद पर टिका है. रेस कोर्स पर घोड़ों की दौड़ शुरू होने से पहले जितनी चर्चाएं होती हैं, उससे कहीं कम दो या तीन मिनट चलनेवाले रेस के दौरान. ताश के पत्ते अपने अंतहीन अगर-मगर के साथ हमें परेशान करते हैं. लेकिन यही वह पक्ष है, जो जुए को एक साथ हुनर और धैर्य का इम्तिहान बनाता है.

मैच फिक्सिंग पूर्व नियोजित चोरी है. इसमें घर का आदमी भेदिये का काम करता है और चौकीदारों को मिला लिया जाता है. जो यह तर्क देते हैं कि सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग बंद हो जायेगी, वे असल बात नहीं समझ रहे हैं. ऐसे किसी कदम से फिक्सिंग पर लगाम नहीं लगायी जा सकती. भले कोई देश इसकी इजाजत दे या नहीं, सट्टेबाजी एक व्यापार है. भारत में सिर्फ एक खेल, घुड़दौड़, में सट्टेबाजी कानूनन वैध है, इसके बावजूद तिकड़मी लोग हर खेल को भ्रष्ट कर धन कमाने से बाज नहीं आते. सिर्फ भारतीय ही इस रोग से ग्रस्त नहीं हैं. इंग्लैंड में तो मौसम को लेकर भी सट्टेबाजी की जाती है. इकोनॉमिस्ट के 27 अप्रैल के अंक में रेसिंग के इतिहास में आज तक के सबसे बड़े डोपिंग स्कैंडल की विस्तृत खबर छपी है. शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मखतूम के शानदार घुड़शाल के चीफ ट्रेनर महमूद-अल-जरूनी ने स्वीकार किया है कि उन्होंने 15 घोड़ों की डोपिंग की. इस खेल के प्रति अपनी दीवानगी को पुराने तरीके से जीने और बेहद पेशेवर तरीके से उसे अंजाम देनेवाले शेख मोहम्मद यह खबर पाकर व्यथित और क्रोधित होकर रह गये. लेकिन ऐसा हुआ. विदेशों में खेल प्रशासक और पुलिस आपस में मिल कर खेल को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन भारत में जिन पर खेल को चलाने की जिम्मेवारी है, वे ही फिक्सरों के साथ जश्न मनाते हैं.

भारतीय खेलों से सट्टेबाजों का पुराना नाता रहा है. हर कोई इससे तब तक आंखें मूंदे रहा, जब तक वे कम से कम एक अलिखित नियमों के मुताबिक चलते रहे. लेकिन संस्कृति बदलने के साथ-साथ लालच भी बढ़ता गया. भद्रजनों का खेल समझा जानेवाला क्रिकेट आज पैसा कमाने का साधन बन कर रह गया है. ऐसा एक रात में नहीं हुआ. फिक्सिंग का पहला पुख्ता सबूत दुबई से आया. जल्द ही दक्षिण अफ्रीका का नाम भी सामने आया. लेकिन पैसे का सबसे ज्यादा प्रवाह भारत से था. भारतीय सट्टेबाजी के कारोबार में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ के आगमन में ज्यादा देर का वक्त नहीं लगा.

दाऊद इब्राहिम का नाम अक्सर बिना पर्याप्त सबूतों के पूरे विश्वास के साथ विवादों से जोड़ दिया जाता है. लेकिन एक पीढ़ी पहले भी भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ क्रिकेटर दुबई में सट्टेबाजों के साथ पकड़े गये थे, तब अधिकारियों ने क्या कार्रवाई की? कुछ नहीं. सभी को बाद में पुनस्र्थापित कर दिया गया. पूर्व भारतीय कप्तान अजहरुद्दीन पर बीसीसीआइ ने प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन बाद में उन्हें सांसद बना कर सम्मानित कर दिया गया. सिर्फ इतना बाकी रह गया कि उन्हें खेल मंत्रलय का जिम्मा नहीं दिया गया. यही कारण है कि आज के युवा यह मानने लगे हैं कि आइपीएल उद्योग के सेक्स और ग्लैमर में पकड़े जाने की स्थिति में उन्हें तत्काल भले हल्का झटका लगेगा, उम्र बढ़ने के बाद लोकसभा की सीट मिल जायेगी. पछतावे के आंसू, जिनमें कुछ जायज भी होते हैं, से कभी नुकसान नहीं होता. किसी भी खर्च पसंद व्यक्ति के प्रोफाइल में रोमांटिक पुट होता है, जब वह रोते हुए मां-बाप के पास लौटता है. आज कुछ लोग जो जेल की चारदीवारियों में कैद हैं, वे केवल बड़े खेल के छोटे खिलाड़ी हैं. यह स्कैंडल उस समय सामने आना शुरू हुआ, जब दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह राजस्थान टीम के तीन मूर्ख खिलाड़ियों तक सीमित है. पर यह तेजी से चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन और उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन तक जा पहुंचा. यहां से इसका रास्ता अन्य स्टार और सुपरस्टार्स की ओर मुड़ जायेगा. श्रीनिवासन बीसीसीआइ प्रमुख भी हैं. जिस व्यक्ति पर अपने दामाद को सट्टेबाजों से सौदा करने में मदद के आरोप हों, वह दूसरों पर नैतिक दबाव नहीं बना सकता. कोई आइपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला या चेन्नई टीम के कप्तान महेंद्र सिह धोनी से भी पूछ सकता है कि इस बारे में आपको क्या पता है और कब पता चला?

भारतीय सट्टेबाज चुनाव और क्रिकेट के मौसम में फलते-फूलते हैं. हम केवल यह उम्मीद कर सकते हैं अब सट्टेबाज इतने मजबूत कभी न हों, दाऊद की मदद से भी, ताकि जो उन्होंने क्रिकेट के साथ किया है, वह हमारे चुनाव के साथ भी न कर सकें. चुनाव परिणामों को फिक्स करने का विचार छोटे स्तर से, सुदूर क्षेत्र से, शुरू होने की बात को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है. मसलन गुजरात में नरेंद्र मोदी की पार्टी से 15 विधायक यदि कांग्रेस के पाले में चले जाएं, तो भारतीय राजनीति एक अलग तरह के ड्रामे में बदल जायेगी. भ्रष्टाचार की कीमत का कभी आकलन नहीं किया जा सकता है.

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