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नोटों का भ्रष्टाचार

देश में एक ओर जहां नोटबंदी के फायदे-नुकसान पर बहस चल रही है, आम जनता नकदी के संकट से जूझ रही है तथा सरकार और बैंक मुश्किलों के हल के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुराने नोटों को कमीशन पर बदलने का धंधा तथा नये नोटों के बड़े-बड़े बंडल का अवैध लेन-देन […]

देश में एक ओर जहां नोटबंदी के फायदे-नुकसान पर बहस चल रही है, आम जनता नकदी के संकट से जूझ रही है तथा सरकार और बैंक मुश्किलों के हल के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुराने नोटों को कमीशन पर बदलने का धंधा तथा नये नोटों के बड़े-बड़े बंडल का अवैध लेन-देन भी शुरू हो गया है.
देश के बड़े शहरों से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक 15 से 50 फीसदी के कमीशन पर पुराने नोटों को बदलने का कारोबार चल रहा है. तमिलनाडु उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग द्वारा पकड़ी गयी करोड़ों की नकदी में नये नोटों की भारी संख्या है. गुजरात और ओडिशा में रिश्वत के रूप में दिये जा रहे नये नोट पकड़े गये हैं.
मुद्रा बदलने के वैध-अवैध धंधे में पहले से लगे लोग भी मुद्रा माफिया की मिलीभगत से नोटों को बदल रहे हैं. आंध्र प्रदेश में स्टिंग ऑपरेशन के बाद ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ. कई रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि पंजीकृत धार्मिक संस्थान और व्यापारिक कंपनियां भी अदला-बदली के काम में लगी हैं. इस चिंताजनक परिदृश्य में जाली नोटों के पकड़े जाने की ताजा खबर बेहद चौंकानेवाली है. अब सवाल यह उठता है कि यदि नये नोट निर्धारित सीमा के अंदर और कड़े नियमों के तहत सिर्फ बैंकों द्वारा बदले जा रहे हैं और एटीएम से भी मामूली रकम की निकासी हो रही है, तो फिर बड़ी संख्या में नये नोटों के बंडल लोगों तक कैसे पहुंच जा रहे हैं. और, जो लोग अवैध तरीके से नोट बदल रहे हैं, वे पुराने नोट कैसे जमा कर पा रहे हैं या कर पायेंगे तथा वे नये नोट कैसे दे पा रहे हैं?
निश्चित रूप से बैंकों के कामकाज और नये नोटों की आपूर्ति प्रक्रिया में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्टाचार इसके लिए जिम्मेवार है. कतार में खड़े लोग बेहाल हैं, जानें जा रही हैं और आम कारोबार ढीला है. लेकिन कालाधन जमा करनेवालों और कर चुरानेवालों को नुकसान नहीं हो रहा है. नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य कालेधन और कर चोरी पर अंकुश लगाना है.
इन समस्याओं की वजह से अर्थव्यवस्था की गति अवरुद्ध होती है तथा देश के सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया मद्धम पड़ जाती है. यदि नोटबंदी के बाद भी ये समस्याएं बनी रहीं, तो फिर इस महत्वपूर्ण कदम का कोई औचित्य नहीं रह जायेगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि अदला-बदली के अवैध मामलों पर सरकार सख्ती करेगी तथा नोटों की आपूर्ति और भुगतान के प्रबंधन में व्याप्त गड़बड़ियों को रोकेगी.

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