विगत 13 जनवरी को आयी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट ने भारत को पूर्णरूपेण पोलियोमुक्त देश घोषित कर दिया है. यह घोषणा देश में पिछले तीन वर्षो में पोलियो से संबंधित एक भी मामले के न आने के बाद की गयी. निश्चय ही हमारे लिए यह आत्मसंतोष का विषय है कि वर्षो बाद अंतत: इस बीमारी पर काबू पा लिया गया.
अब हमारे नौनिहालों को पोलियो जनित विकलांगता का शिकार होकर जन्म से लेकर मृत्यु तक अपार कष्ट, दुख और तिरस्कार का सामना करना नहीं पड़ेगा. मैं भी बचपन में पोलियो से ग्रसित हो गया था और इस वजह से कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ा और आगे कितना करना पड़ेगा, यह मैं भली-भांति समझ सकता हूं.
आंकड़े बताते हैं कि एक समय पोलियो एक जानलेवा बीमारी बन गयी थी. लेकिन पोलियो टीकाकरण अभियान के तहत इसमें काफी कमी आयी है. यूनिसेफ के ब्रांड अंबेसडर अमिताभ बच्चन द्वारा जागरूकता के लिए आगे आना और ‘दो बूंद जिंदगी की’ वाला नारा आज गांव-गांव में बच्चों और उनके अभिभावकों की जुबान पर है.
हमारी सरकार इसके लिए धन्यवाद की पात्र है. आज स्वास्थ्य सुविधाओं के विकेंद्रीकरण से पंचायत स्तर पर लोगों को उचित और नजदीकी सुविधाएं मिल रही हैं. गांव-गांव सहिया और एएनएम की चहलकदमी, आज गरीब परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है.
वहीं राज्य सरकार द्वारा संचालित चलंत चिकित्सा वाहन भी अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं. निस्संदेह, पोलियो मुक्त देश होना एक बड़ी उपलब्धि है. लेकिन इस पर गर्व करते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी कुछ बीमारियों और सामाजिक समस्याओं की कई चुनौतियां हमारे सामने मौजूद हैं.
सुधीर कुमार, हंसडीहा, दुमका