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उद्यमिता को प्रोत्साहन

भारत की करीब 1.3 अरब आबादी में से दो-तिहाई 35 वर्ष से कम आयु की है. सबसे बड़ी कार्यशील आयुवाली आबादी के दम पर देश का बड़ा सपना देखना लाजिमी है. लेकिन, विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता के रहते यह संभव नहीं है. ऐसे में दलित और आदिवासी युवाओं को विकास की […]

भारत की करीब 1.3 अरब आबादी में से दो-तिहाई 35 वर्ष से कम आयु की है. सबसे बड़ी कार्यशील आयुवाली आबादी के दम पर देश का बड़ा सपना देखना लाजिमी है. लेकिन, विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता के रहते यह संभव नहीं है. ऐसे में दलित और आदिवासी युवाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए नीतिगत स्तर बड़े फैसले की जरूरत महसूस की जा रही थी.

इसके मद्देनजर वित्त मंत्री ने पिछले बजट भाषण में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमइ) मंत्रालय के अधीन एससी-एसटी हब बनाने की घोषणा की थी. इस घोषणा के अनुरूप केंद्र सरकार ने 2016-20 की अवधि के लिए 490 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन के साथ एससी-एसटी हब की शुरुआत कर दी है.

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों और स्वरोजगार की योजना बना रहे युवाओं के लिए निश्चित रूप से एक अच्छी खबर है. यह हब न केवल उन्हें बाजार से जोड़ेगा, बल्कि क्षमता के विकास और सरकार की वित्तीय योजनाओं व सार्वजनिक खरीद का लाभ दिलाने में भी मददगार होगा. एससी-एसटी हब लांच करते हुए प्रधानमंत्री का संबोधन उद्यमियों के लिए मार्गदर्शक है- ‘दुनियाभर के बाजार हमारा इंतजार कर रहे हैं. एमएसएमइ सेक्टर को सिर्फ भारत के बाजार पर नहीं, वैश्विक बाजार पर भी नजर रखनी चाहिए और उनके उत्पाद की गुणवत्ता नियंत्रण के मानकों पर खरा उतरना चाहिए.’ देश में पिछले 25 वर्षों के दौरान औसतन 6.5 प्रतिशत की विकास दर के बावजूद रोजगार के मोर्चे पर संतोषजनक परिणाम नहीं मिले हैं. ऐसे वक्त में एमएसएमइ ही बड़ी संख्या में रोजगार मुहैया कराने की उम्मीद को बनाये हुए है. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 38 फीसदी का योगदान देनेवाला एमएसएमइ सेक्टर 11 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है.

इसे बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 2015 से लागू सार्वजनिक खरीद नीति में केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को एमएसइ सेक्टर से 20 प्रतिशत वार्षिक खरीदारी करना अनिवार्य किया गया है, जिसमें चार फीसदी खरीद अनुसूचित जाति/ जनजाति के उद्यमियों के एमएसइ प्रतिष्ठानों से करने का प्रावधान है, जो फिलहाल एक प्रतिशत से भी कम है. एससी-एसटी युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने में एससी-एसटी हब के साथ-साथ एनएसआइसी, एनइडीएफआइ, राज्य स्तर पर विपणन संस्थाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी. उम्मीद है कि यह हब अपने घोषित लक्ष्यों को पूरा करते हुए एससी-एसटी उद्यमियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा.

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