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अमेरिका की दोहरी नीति

अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘पाकिस्तान को आतंकवादी देश’ घोषित करने का समर्थन नहीं करता है. अमेरिका बनाम गिरगिट की चाल को हमें समझना होगा. भारत-पाकिस्तान प्रकरण में भारत का समर्थन करने की अमेरिका ने औपचारिकता पूरी की. हमें नहीं भूलना चाहिए कि 1965 के भारत -पाकिस्तान यद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान […]

अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘पाकिस्तान को आतंकवादी देश’ घोषित करने का समर्थन नहीं करता है. अमेरिका बनाम गिरगिट की चाल को हमें समझना होगा. भारत-पाकिस्तान प्रकरण में भारत का समर्थन करने की अमेरिका ने औपचारिकता पूरी की. हमें नहीं भूलना चाहिए कि 1965 के भारत -पाकिस्तान यद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ दिया.

अमेरिका सहित दुनिया के सभी देशों को पता है कि पाकिस्तान किसको पालता है. फिर भी पाकिस्तान को अमेरिका करोड़ों डॉलर की सहायता देता है. सोचिए, क्योंकि इस विषय पर मंथन की जरूरत है. अमेरिका अगर भारत का हितैषी होता, तो संयुक्त राष्ट्र संघ के शिखर सम्मेलन में कश्मीर मुद्दा बार-बार उठने पर अमेरिका इस समस्या को हल करने की दिशा में प्रयास करता.

संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद कई दशक तक कश्मीर मुद्दा को लेकर अमेरिका ने एक बार भी हल करने की पहल नहीं की, न ही कश्मीर का मुद्दा ही उठाया. इसलिए अपनी समस्या के हल के लिए भारत को अपने पिटारे प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका के सामने नहीं खोलने चाहिए, क्योंकि अमेरिका आतंकवाद को बढ़ावा देनेवाले देश का एक तरह से हितैषी ही है.

खालिक अंसारी, कैरो, लोहरदगा

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