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घाटी से अच्छे संकेत
देश के अन्य हिस्सों की तरह कश्मीर की नयी पीढ़ी भी शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार की स्वाभाविक चाहत रखती है. केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर पुलिस में बड़ी संख्या में विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बहाल करने की घोषणा उनके लिए नयी उम्मीद लेकर आयी है. घाटी के विभिन्न जिलों में चल रही भर्ती प्रक्रिया में पांच हजार […]
देश के अन्य हिस्सों की तरह कश्मीर की नयी पीढ़ी भी शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार की स्वाभाविक चाहत रखती है. केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर पुलिस में बड़ी संख्या में विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बहाल करने की घोषणा उनके लिए नयी उम्मीद लेकर आयी है.
घाटी के विभिन्न जिलों में चल रही भर्ती प्रक्रिया में पांच हजार से अधिक युवाओं ने आवेदन किया है और शारीरिक परीक्षण में उपस्थित हो रहे हैं. घाटी में पसरे तनाव और अलगाववादियों द्वारा इस नियुक्ति में शामिल न होने के आह्वान के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आना एक सकारात्मक परिघटना है. यह भी उल्लेखनीय है कि सर्वाधिक आवेदन दक्षिण कश्मीर के चार जिलों- अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां- से आये हैं. ये जिले जुलाई से जारी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित हैं. श्रीनगर जिले से 1,363 से अधिक युवाओं ने पुलिस बल के साथ जुड़ने की मंशा जतायी है. इतनी बड़ी संख्या में कश्मीरी युवाओं का सरकारी योजना में शामिल होना हुर्रियत व अन्य अलगाववादी गुटों तथा पाकिस्तान के उन दावों को झुठलाता है कि घाटी की आबादी का बड़ा हिस्सा भारत से अलग होना चाहता है.
इससे पहले लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और अन्य विकास योजनाओं के प्रति भी कश्मीरियों ने उत्साह का लगातार इजहार किया है. एसपीओ बनने के प्रति युवाओं के उत्साह को देखते हुए केंद्र सरकार ने और 10 हजार एसपीओ की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही सरकार जम्मू-कश्मीर में विभिन्न योजनाओं के जरिये 1.40 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है. नये सृजित पांच रिजर्व बटालियनों में भी राज्य के पांच हजार युवाओं की नियुक्ति प्रस्तावित है. इनमें 60 फीसदी युवा जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों से ही होंगे. कई वर्षों से चल रहे हिमायत प्रशिक्षण केंद्र भी रोजगार के लिए युवाओं को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
इन केंद्रों से अब तक 68 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिनमें से 51 हजार से अधिक रोजगार में संलग्न हैं. अलगाववादियों और पाकिस्तान के उकसावे से भ्रमित युवाओं को भरोसे में लेने के लिए ऐसी योजनाओं का निरंतर जारी रहना जरूरी है. इससे न सिर्फ रोजगार उत्पन्न होंगे, बल्कि राज्य में विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा.
आर्थिक बेहतरी घाटी में अमन-चैन की बहाली में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है. यह कहने की जरूरत नहीं कि बेरोजगार और दिशाहीन युवाओं को बरगलाना सबसे आसान होता है. उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें विकास योजनाओं को प्राथमिकता देते हुए घाटी में विश्वास का वातावरण बनाने के प्रयास लगातार जारी रखेंगी.
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