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रोज नया सीखें और छा जायें

संदीप मानुधने विचारक, उद्यमी एवं शिक्षाविद् करोड़ों भारतीय युवा आज के प्रतियोगी दौर में, अपने-अपने तरीके से, जॉब मार्केट में अथवा स्व-रोजगार के जरिये, अपना मुकाम हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रति वर्ष, एक करोड़ से अधिक नये युवा इस दौड़ में शामिल हो जाते हैं. निश्चित ही, यह एक कठिन रेस है, […]

संदीप मानुधने
विचारक, उद्यमी एवं शिक्षाविद्
करोड़ों भारतीय युवा आज के प्रतियोगी दौर में, अपने-अपने तरीके से, जॉब मार्केट में अथवा स्व-रोजगार के जरिये, अपना मुकाम हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रति वर्ष, एक करोड़ से अधिक नये युवा इस दौड़ में शामिल हो जाते हैं. निश्चित ही, यह एक कठिन रेस है, और पुराने तरीकों से इसमें न जीत हासिल की जा सकती है, न कोई सुदृढ़ मुकाम. और ये हम रोज अखबारों में पढ़ते ही हैं कि किस प्रकार हमारे ज्यादातर नौजवान डिग्री-धारी तो हैं, रोजगार-योग्य नहीं हैं.
हमारे अनेक कॉलेज और विश्वविद्यालय, पुरातनपंथी तरीकों को एक नये विश्व के लिए उचित मानते हुए ऐसे शिक्षा दे रहे हैं, जिसका प्रैक्टिकल मूल्य गायब हो चुका है. जिम्मेवार कोई नहीं है, लेकिन हैं सब! ठीक करने की बातें सब करते हैं, होता बहुत थोड़ा है. युवा समझ रहा है कि कुछ करना तो है, लेकिन पता नहीं है कि क्या और कैसे.
इस सबका असर हमारी सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर भी पड़ रहा है. तनाव बढ़ रहे हैं, और तुरंत समाधान दिख नहीं रहे हैं. ऐसे में, या तो हम निराश होकर उम्मीद छोड़ दें, या फिर स्वयं ही कुछ करने की ठान लें. आप उम्र या एटीट्यूड से युवा हैं, तो दूसरा विकल्प ही बेहतर होता है!
अच्छी खबर यह है कि इतनी विकट और परिवर्तनशील परिस्थिति में भी, अनेक ऐसे साधन मौजूद हैं, जो आपको आसानी से वह कौशल दे सकते हैं, जो न केवल आपका आत्मविश्वास बढ़ायेंगे, वरन आपकी ‘मार्केट-वैल्यू’ भी. आइए समझें, किस प्रकार बड़े सस्ते और सुलभ तरीकों से, आप प्रतिदिन कुछ नया सीख सकते हैं. ये तरीके सफलता और असफलता के बीच का अंतर बन सकते हैं. समग्र तौर पर, ये हमारे आधुनिक भारतीय समाज को बेहद सकारात्मक बनाये रखने में मदद करते हैं.
सबसे पहले यह समझें कि जिस इंटरनेट ने हर क्षेत्र में क्रांति लायी है, और परंपरागत तरीकों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं, उसी ने एक और अद्भुत काम कर दिया है- विश्वास के हर क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और साधन, एक क्लिक पर आपके सामने स्क्रीन पर आपकी मदद करने को तैयार कर दिये हैं.
इनमें से कुछ तो मुफ्त में यह कार्य कर देंगे (यूट्यूब पर), और कुछ फीस लेकर (पर्सनल टीचिंग साइट्स पर). इस बात की गहराई को समझें. अब वाकई में आपको यदि सफल बनना है, तो आप विश्व के सबसे कुशल व्यक्तियों से वन-टू-वन आधार पर मदद ले सकते हैं, और अपनी नौकरी में लगातार कुशलता बढ़ा कर आगे बढ़ सकते हैं. न केवल यह, बल्कि यदि आप चाहें, तो आप एक इंटरनेट उद्यमी भी बन सकते हैं, बिना बड़े निवेश के. उत्साहित हैं? तो इस मजेदार यात्रा के कुछ पड़ाव समझ लें.
पहला पड़ाव- तीन चीजें आवश्यक रूप से प्रतिदिन करना है- अपने क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञों के ब्लॉग पढ़ने हैं (इंटरनेट पर), किसी भी नयी तकनीक के बारे में लगातार पढ़ते जाना है (संबंधित प्रसिद्ध एक्सपर्ट साइट्स पर), और एक नोटबुक में (अथवा किसी एवरनोट जैसे वेब-टूल में) आपके काम का कंटेंट सेव करते जाना है. सबसे पहले आप ये तीन कार्य लगातार करते हुए, छह महीनों में यह सीखें कि किस प्रकार सीखने और कुशल बनने के तरीके वाकई में बदल गये हैं.
उदाहरण- अनेक इंजीनियरिंग के कोर्स पूर्णतः मुफ्त उपलब्ध हैं. इंटरनेट पर इस्तेमाल होनेवाली टेक्नोलॉजी के अथाह संसाधन मौजूद हैं. ऐसे मार्केट-प्लेस हैं (एनवेटो जैसे) जहां अच्छे ग्राफिक और वेब डिजाइनर अपने प्रोडक्ट सीधे बेच सकते हैं (घर बैठे!). और यदि आप में सिखाने की कला है, तो आप अपना कोर्स ऑनलाइन शुरू कर सकते हैं (रुजुकु, कजाबी, उडेमी आदि जैसे प्लेटफॉर्म्स पर) और डॉलरों में कमा सकते हैं!
दूसरा पड़ाव- जब आप आना समय (और डाटा पैक) निरर्थक चैटिंग और वीडियो देखने के बजाय उपरोक्त बताये कौशल-केंद्रित कार्य पर खर्च करेंगे, तब आप तीन प्रश्नों से वाकिफ होंगे- किसको रोज फॉलो करें (इस हेतु गूगल से सही सर्च कर फिर जायें अलेक्सा रैंकिंग जैसी साइट्स पर), कौन से सशुल्क शिक्षण कार्यक्रम वाकई फायदेमंद हैं (इस हेतु देखें रिव्यू साइट्स और कंपेरीजन साइट्स) और स्वयं उद्यमी बनना हो तो कैसे बनें (टीचिंग, ब्लॉगिंग और होस्टिंग प्लेटफॉर्म्स पर जायें). एक समस्या जरूर आयेगी, और वह है अंगरेजी. तो आप ढूंढेंगे सही अंगरेजी के शिक्षक. आपको इतने विकल्प मिल जायेंगे कि तय करना मुश्किल हो सकता है!
करोड़ों शिक्षित महिलाएं भारत में अक्सर घरों में केवल खाना पकाती दिखती हैं- वे अपने कौशल से एक स्व-उद्यमी बन कर अपने आप को और परिवार को सशक्त बना सकती हैं. एक अति-परंपरागत परिवार को यदि इससे आपत्ति हो, तो जान लें कि इंटरनेट की दुनिया में, इस हेतु उन्हें घर से निकलने की भी आवश्यकता नहीं होगी.
तीसरा पड़ाव- आनेवाले दशकों के लिए स्वयं को, और अपनी कंपनी या संस्थान को (और देश को भी) तैयार करना. यह अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि कहा जाये कि सुलभ और सस्ती तकनीकों की इंटरनेट-आधारित आंधी ने सारे सेक्टर्स बदल कर रख दिये हैं. यह बदलाव हम टैक्सी सेवाओं, शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स, मेडिकल डायग्नोसिस और फ्रीलांसिंग जैसे क्षेत्रों में देख भी रहे हैं.
दुर्भाग्यवश भारतीय ब्रांड्स इनमें बहुत पीछे छूट गये हैं. मैंने अक्सर इस मुद्दे को ‘डिजिटल संप्रभुता’ या डिजिटल स्वतंत्रता के रूप में उठाया है. ऐसा क्यों हो गया? सीधा सा उत्तर है- हमारा सारा ध्यान रटने-रटाने और परीक्षाओं में मेरिट लाने में लग गया. वास्तविक सीखने की कला हम भूल गये. तीन सबसे मूल कौशल- तेजी से सही पढ़ना, अच्छा लिखना और मूल गणित- एक नयी दुनिया के लिए हम विकसित कर ही नहीं पाये.
नतीजा, ये सभी आसान तरीके, जिनसे आप एक सूक्ष्म उद्यमी होते हुए भी पूरे विश्व को अपना बाजार बना सकते हैं, हम अमल में ला नहीं पा रहे हैं.
चुनाव हमारा है- बैठ कर व्यवस्था को कोसते रहें, और किसी युग-पुरुष के आने का इंतजार करते रहें, जो सब बदल कर रख देगा. अथवा, आज ही अपनी व्यक्तिगत सफलता की यात्रा शुरू कर, आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल सीख कर, नये प्रयोग और उत्पाद बनाने में जुट जायें. हर बार सफलता नहीं मिलेगी, किंतु जब मिलेगी, तो वह अकल्पनीय होगी.

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