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लोकसभा चुनाव के दावे और मुद्दे

चुनावी वर्ष में सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने में लगे हैं. कोई युवा सोच लेकर आगे बढ़ रहा है, तो कोई भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सामने आया है. कुछ दल सांप्रदायिक तत्वों को उखाड़ फेंकना चाहते हैं, तो कुछ वंशवाद को मिटाना चाहते हैं. अभी तक की स्थिति से प्रतीत होता है कि देश […]

चुनावी वर्ष में सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने में लगे हैं. कोई युवा सोच लेकर आगे बढ़ रहा है, तो कोई भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सामने आया है. कुछ दल सांप्रदायिक तत्वों को उखाड़ फेंकना चाहते हैं, तो कुछ वंशवाद को मिटाना चाहते हैं. अभी तक की स्थिति से प्रतीत होता है कि देश में चार दल तो निश्चित रूप से तैयार हैं. कांग्रेस, भाजपा, ‘आप’ और पुराना जनता दल. कांग्रेस का लक्ष्य तो हमेशा से सत्ता में रहना रहा है.

भाजपा की परंपरा पीएम इन वेटिंग वाली रही है. ‘आप’ का तो साफ है कि खाता ना बही जो केजरीवाल कहें वही सही. लेकिन पुराना जनता दल का लक्ष्य साफ नहीं है. यह गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा सरकार चाहता है. राजग को छोड़ दें तो सबका मुख्य मुद्दा मोदी को हराना है, उसके बाद दूसरा मुद्दा खुद प्रधानमंत्री बनने की जुगत बैठाना है. देखें, आगे-आगे होता है क्या!
सौरभ कुमार, ई-मेल से

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