वीर विनोद छाबड़ा
व्यंग्यकार
इस वक्त मुल्क के कई शहर वानर उत्पात की जबरदस्त चपेट में हैं. जनता परेशान है, परंतु तमाम मोहल्ला सुधार समितियां और प्रशासन खामोश हैं. बजरंगबली की वानर सेना के विरुद्ध डायरेक्ट एक्शन लेने से भय लगता है. उनसे ज्यादा उनके मानव भक्तों से डर लगता है. ऐसी विषम स्थिति में बंदे का पशु-पक्षी के प्रति प्रेम जाग्रत हुआ. वानर समूहों से बात की और उनकी चाहतों की गहन स्टडी कर रिपोर्ट तैयार की. इसके चुनिंदा अंश वानर समाज की जुबानी मानव जाति के सम्मुख विचारार्थ प्रस्तुत किये.
हम वानर शरारती हैं, हमारी धमा-चौकड़ी से आपका खासा नुकसान होता है. यह हमारा पैदाइशी गुण है. आखिर आपके पूर्वज जो ठहरे. हमारे बच्चों को आपके बच्चों की तरह छतें और दीवारें चढ़ने-फलांगने में मजा आता है. हम आपकी तरह अपने बच्चों को डांटते नहीं, बल्कि अपने बच्चांे को खेलता देख आनंदित होते हैं. हम साथियों की जूएं चट कर जरूरी प्रोटीन और विटामिन हासिल करते हैं. गहन चिंतन भी करते हैं कि क्या कभी ऐसा समय आयेगा, जब हम राजा होंगे और आप प्रजा. आप ही लोगों के मुंह से सुना है कि दूसरे कई ग्रहों पर हम राजा है. हाॅलीवुड में इस पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं. कल रात भी किसी चैनल पर ‘प्लेनेट आॅफ दि एप्स’ चल रही थी.
शुक्र है हमारी जिंदगी में सुकून है. न कमाने की चिंता है और न महंगाई का रोना. न आरक्षण, न हिंदू-मुसलमान. ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम… इंडिया गेट और जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करके वक्त की बरबादी भी नहीं. सरकार किसी की भी हो, हमें कोई परेशानी नहीं. चिंता है, तो बस यही कि मानव जाति सलामत रहो. मंदिरों पर भरपूर चढ़ावा बदस्तूर आता रहे, ताकि हमारे खाने-पीने में कोई कमी नहीं आये.
आपकी तरह हमारी जिंदगी का भी ढेर सारा हिस्सा आपस में लड़ने-झगड़ने में गुजरता है. हम पलट कर हमला तभी करते हैं, जब आप हमें छेड़ते या मारते हैं. बस पेट भरने के लिए हम दूसरों की पकी-पकाई मेहनत पर हाथ साफ करते हैं.
लेकिन आप तो हमसे कई कदम आगे हो. चोरी-डकैती और हत्या के साथ एटीएम और बैंकों से खून-पसीने की गाढ़ी कमाई ले उड़ते हो.
आपका अनुकरण करने में भी हम अव्वल हैं. हम फ्रिज खोल सकते हैं. पंखा-बत्ती आॅन-आॅफ कर सकते हैं. रूठी पत्नी को भी मना लेते हैं. आखिर आप मदारी और हम नकलची जो ठहरे. हमें आप नकलची बंदर कह कर नाहक बदनाम करते हैं, जबकि आप खुद बड़े नकलची हो. पड़ोसी की नकल करके इएमआइ पर कार खरीदते हो.
त्रेता युग में यदि वानर सेना न होती और हनुमान जी के साथ सुग्रीव, अंगद, नल-नील आदि वीर योद्धा न होते, तो निस्संदेह रामकथा का रूप कुछ दूसरा ही होता. आपकी बीमारी के इलाज से पूर्व दवाइयों का प्रयोग पहले हम पर किया जाता है. अतः आपको हमारा ऋणी होना चाहिए.
आपने हमारे यहां से दफा होने की कीमत पूछी है. तो सुन लें श्रीमान्! जिस जगह पर आपकी कॉलोनी है, ऊंची-ऊंची अट्टालिकाएं हैं, शॉपिंग माॅल-सिनेप्लैक्स हैं, यहां पर कभी हरे-भरे व ऊंचे-ऊंचे फलदार पेड़ों वाले घने जंगल थे.
इन्हीं पर हमारी कुटियां थीं. जमीन पर तो हम कभी-कभार ही उतरते थे. आपने विलासिता के लिए हमारे जंगल काट डाले. हम बेघर हो गये. अब आप चाहते हैं कि हम यहां से निकल जायें. हम चले जायेंगे, मगर एक शर्त है- पहले आप हमारे जंगल हमें लौटा दो. मानव जाति ने बंदे की इस रिपोर्ट को बिना विचार किये ही कोल्ड स्टोरेज में डाल दिया.