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सीमा पर सतर्कता बढ़े
उत्तराखंड के चमोली जिले में 19, 22 और 25 जुलाई को हुई चीनी घुसपैठ चिंताजनक घटना है. चीन लंबे समय से ऐसी हरकतें करता आ रहा है. भारत को इस रवैये पर अपना ठोस विरोध दर्ज कराना चाहिए तथा इस क्षेत्र में 350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ानी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा के […]
उत्तराखंड के चमोली जिले में 19, 22 और 25 जुलाई को हुई चीनी घुसपैठ चिंताजनक घटना है. चीन लंबे समय से ऐसी हरकतें करता आ रहा है. भारत को इस रवैये पर अपना ठोस विरोध दर्ज कराना चाहिए तथा इस क्षेत्र में 350 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ानी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह की चूक या लापरवाही बेहद खतरनाक साबित हो सकती है.
यदि राज्य के मुख्यमंत्री का यह दावा सही है कि सीमा पर चीनी सेना की गतिविधियां और संख्या बढ़ी है, तो केंद्र सरकार को इस मसले पर सुरक्षा और कूटनीति से संबंधित समुचित पहल करनी चाहिए. वर्ष 1958 में दोनों देशों ने बारा होती के इस इलाके की 80 वर्ग किलोमीटर जमीन को विवादास्पद मानते हुए अपनी सेनाओं को यहां से पीछे रखने का समझौता किया था. सिर्फ आसपास बसे दोनों देशों के पशुचारकों को वहां जाने की अनुमति है.
वर्ष 1962 के युद्ध में भी चीनी सेना 545 किलोमीटर के मध्य क्षेत्र (उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश) में नहीं घुसी थी और उसका ध्यान पश्चिमी (लद्दाख) और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश) पर रहा था. अनेक रक्षा विशेषज्ञों की राय में ये घटनाएं यह संकेत देती हैं कि भारत अपनी सीमाओं पर अपेक्षित रूप से चौकस नहीं है. वर्ष 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ पर समय रहते कार्रवाई करने में हुई चूक का नतीजा युद्ध के रूप में सामने आया था. ऐसे में सीमाओं पर चल रही हलचलों पर खुफिया नजर और निरंतर निगरानी रखना बहुत जरूरी है. भले ही केंद्र सरकार हालिया घटनाओं को मामूली कह कर निचले स्तर पर सुलझाने की बात कर रही हो, पर सच तो यह है कि पहाड़ी दर्रों में चीन अपना दखल बढ़ाने के चक्कर में सीमाओं और वास्तविक नियंत्रण रेखा के ठोस निर्धारण में दिलचस्पी नहीं लेता है.
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन की सीमा दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा है तथा दोनों देश दशकों से इसे सुलझाने की कोशिश में हैं, पर इस कोशिश के अब तक अपेक्षित परिणाम नहीं निकल सके हैं.
इसी वर्ष जून और जुलाई में अलग-अलग घटनाओं में अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों पर सैकड़ों चीनी सैनिक घुस आये थे. बीते सालों में दोनों देशों में सीमाओं पर सुरक्षा बलों की तैनाती और यथास्थिति बनाये रखने के लिए वार्ताएं होती रही हैं तथा शांति बहाल कर परस्पर व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमति भी बनी है. लेकिन, दक्षिण और पूर्व एशिया में चीनी गतिविधियों को देखते हुए भारत को सचेत रहने की आवश्यकता है.
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