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एक शिक्षक का दर्द
सरकारी शिक्षण व्यवस्था/वेतन वृद्धि पर रोक : एक निंदनीय फैसला है. एक अच्छा शिक्षक वह है जो नित्य नये प्रयोग, अपनी शिक्षण शैली से छात्रों में आत्मविश्वास भर दे. उन्हें प्रेरित कर आशावान और ऊर्जावान बना दे. बच्चों के दिमाग में केवल तथ्यों का संप्रेषण ही शिक्षा नहीं है. ऐसी शिक्षा तो पढ़ाई को और […]
सरकारी शिक्षण व्यवस्था/वेतन वृद्धि पर रोक : एक निंदनीय फैसला है. एक अच्छा शिक्षक वह है जो नित्य नये प्रयोग, अपनी शिक्षण शैली से छात्रों में आत्मविश्वास भर दे. उन्हें प्रेरित कर आशावान और ऊर्जावान बना दे. बच्चों के दिमाग में केवल तथ्यों का संप्रेषण ही शिक्षा नहीं है. ऐसी शिक्षा तो पढ़ाई को और नीरस तथा उबाऊ बना देता है. भारतीय शिक्षा का खस्ता हाल किसी से छिपा नहीं है.
एक ओर जहां बिहार सरकार नकल और घोटाले से उपजी व्यवस्था से शिक्षकों और शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने की कोशिश कर रही है, वहीं झारखंड सरकार ने हाईस्कूल और इंटर के शिक्षकों की वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का आदेश दिया है. सरकार के कोपभाजन का शिकार प्रधानाध्यापक और डीइओ भी हुए हैं. सवाल यह है कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या वेतन वृद्धि पर रोक एक सही फैसला है? इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे? इसके अलावा सुधार की और कहां आवश्यकता है?
अमरेश कुमार, हजारीबाग
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