अभी केंद्रीय वित्त आयोग की टीम बिहार से होकर झारखंड आयी हुई है. कोई 50 हजार करोड़ रुपये, तो कोई 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपये से झारखंड को मदद देने की बात कर रहा है. लेकिन झारखंड के नेताओं को एक भी पैसे की मदद नहीं दी जानी चाहिए. वैसे तो आम जनता को इन सबसे कोई मतलब नहीं, क्योंकि सरकार, नेता और उनकी नीतियों के रहते उन्हें कोई खास फर्क तो पड़ता नहीं.
उन्हें खुद मेहनत करके अपना गुजरा करना है और उसी में से कुछ हिस्सा सरकार को भी देना है. कोई भी सरकार जनता को तो कुछ देती नहीं. केंद्रीय मदद से जनता का कुछ भी भला नहीं होने वाला, सिर्फ नेताओं की मकर संक्रातिमजे में बीतेगी. इन पैसों का इस्तेमाल वे विदेश घूमने, महंगी गाड़ियां खरीदने में ही करेंगे. सारा पैसा उड़ाने के बाद जब काम की बारी आयेगी तो फिर केंद्रीय मदद का रोना रोयेंगे.
नवीन सिन्हा, जमशेदपुर