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‘आप’ का असर या सिर्फ दिखावा!

शायद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ‘आम आदमी पार्टी’ के मुरीद हो गये हैं. तभी तो उन्होंने अपनी अनावश्यक सुरक्षा हटा लेने की बात कही है. यह एक स्वागत योग्य कदम है.पर, बयान तो बयान होता है, उस पर अमल करना जरूरी है. निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी ने इतिहास रचा है. इस […]

शायद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ‘आम आदमी पार्टी’ के मुरीद हो गये हैं. तभी तो उन्होंने अपनी अनावश्यक सुरक्षा हटा लेने की बात कही है. यह एक स्वागत योग्य कदम है.पर, बयान तो बयान होता है, उस पर अमल करना जरूरी है. निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी ने इतिहास रचा है. इस इतिहास का दूरगामी परिणाम अभी देखना बाकी है. लेकिन लोकहित की बात करना ही असली राजनीति है. यह सबको पता चल गया है. डर से ही उनके रास्ते पर चलने के लिए हर कोई तैयार है. अब हर पार्टी लाल-पीली बत्ती के उपयोग को नकार रही है.

झारखंड के परिप्रेक्ष्य में आम आदमी पार्टी का उदय खास है. वैचारिक दृष्टि से यह राज्य बिल्कुल बियाबान हो चुका है. जहां भ्रष्टाचार के नये-नये आयाम गढ़े जा रहे हैं. जनता हताश है, राजनेता और नौकरशाह मालामाल. उस राज्य में एक केजरीवाल की जरूरत निश्चित रूप से है. झारखंड के युवा मुख्यमंत्री से भी यह उम्मीद है कि वे इस बात पर बल देंगे कि सरकार आम आदमी के लिए होती है. लेकिन, यहां यह जरूरी है कि जब तक राजनीतिक शुचिता नहीं बनेगी, दिखावा तो दिखावा ही रहेगा. हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रीगण आज भी सरकारी राशि पर सुख भोग रहे हैं. गोड्डा में कांग्रेस का कार्यकर्ता सम्मेलन था.

इस पार्टी आधारित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक मंत्री सरकारी हेलीकॉप्टर से आये. झारखंड के मंत्री जहां भी जाते हैं, उनके पीछे लंबा कॉरकेड लगा रहता है. मंत्री जी यह कभी नहीं सोचते हैं कि उनके पीछे चल रही गाड़ियां भी ईंधन से ही चलती है. इसमें राजस्व की क्षति हो रही है.

जब तक मंत्री को इस बात का भान नहीं होगा. जनहित की बात करना बेमानी होगी. यहां के मुख्यमंत्री को इस बात का पाठ अपने मंत्रियों को भी पढ़ाना होगा. झारखंड के मंत्री यदि ‘आप’ के नक्शेकदम पर चलते हैं, तो इससे अच्छा और क्या होगा. अब मुख्यमंत्री के समक्ष यह चुनौती होगी कि वे इसको साबित करें कि यह एक सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं है.

वे ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करें कि शेष सभी मंत्रियों को उसका अनुशरण करने में गौरव महसूस हो. झारखंड के वर्तमान सरकार के पास भी एक इतिहास रचने का मौका है. मौकापरस्त होकर यह दिखायें कि उनको आमलोगों की कितनी फिक्र है. तभी एक नये झारखंड का उदय होगा. यह सरकार भी अभीष्ट को प्राप्त कर सकेगी.

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