सबसे पहले सांप्रदायिकता के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाली उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की नाक के नीचे नफरतों की आग को हवा दी जाती रही. फिर इनसानी कत्लेआम पर अपनी आंखें बंद कर चुकी सरकार राहत शिविरों में नन्हीं जानों की मौत से संबंधित खबरों को झुठलाती रही.
अब सपा सुप्रीमो और सरकार के कारिंदे पीड़ितों के जख्मों पर मरहम की जगह नमक छिड़कने में जुट गये हैं. नाम के मुलायम की पत्थरिदली ऐसी कि जहन्नुम जैसे हालात में रहने को मजबूर पीड़ित उन्हें षड्यंत्रकारी नजर आते हैं.
क्या उन्हें पीड़ितों की आंखों में गहरे तक जम चुका खौफ नहीं दिखता? शायद सत्ता सुख भोगने में विलीन पिता-पुत्र इस त्रसदी को देख कर अपना जश्न फीका नहीं करना चाहते. जो भी हो खून से सने सपाई शासन का सच काले अक्षरों में इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज होगा.
अंकित मुत्त्रीजा, खानपुर, दिल्ली