24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना जांच अनुदान देना जायज नहीं

बिहार सरकार प्लस टू स्कूल व कॉलेजों की जमीनी हकीकत जानने-समझने के लिए उनकी जांच-पड़ताल कर रही है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अनुदान पानेवाले संभावित संस्थान सरकारी मदद के योग्य हैं या नहीं. इसमें दो राय नहीं कि यह जांच जरूरी है. बिना वस्तुस्थिति को समङो किसी भी संस्थान […]

बिहार सरकार प्लस टू स्कूल व कॉलेजों की जमीनी हकीकत जानने-समझने के लिए उनकी जांच-पड़ताल कर रही है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि अनुदान पानेवाले संभावित संस्थान सरकारी मदद के योग्य हैं या नहीं. इसमें दो राय नहीं कि यह जांच जरूरी है. बिना वस्तुस्थिति को समङो किसी भी संस्थान को पैसे दे देना, आमलोगों के साथ एक तरह का धोखा है.

अच्छी बात यह है कि हाल में जो जांच कार्य संपन्न हुए हैं, उनसे आंखें खुली हैं. अनुदान पाने के लिए कतार में खड़े शिक्षण संस्थानों का सच सामने आ रहा है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा करायी जा रही इस जांच से जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि सूबे में ऐसे संस्थानों की कमी नहीं, जो कागजी घोड़े दौड़ा कर आम आदमी की गाढ़ी कमाई से मिलनेवाले सरकारी अनुदान की रकम हड़प रहे हैं. ऐसे संस्थानों को चिन्हित कर अनुदान से वंचित करने से कई फायदों की उम्मीद की जा सकती है. इससे महज फर्जीवाड़े के भरोसे अनुदान की उम्मीद रखनेवाले संस्थान सबक पा जायेंगे.

वे आगे चल कर एक शिक्षण संस्थान की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखेंगे और उन्हें हासिल करने के बाद ही अनुदान की उम्मीद करेंगे. भविष्य में पैदा होनेवाले संस्थानों के जनक भी जांच और उसके परिणाम से सबक लेंगे. बिना मेहनत व उपलब्धि के ही नोटों की गांठें हथियाने के सपने देखने से बचेंगे. इतना ही नहीं, जांच में पास होकर अनुदान पानेवाले संस्थान भी भविष्य में सतर्क-सावधान रहेंगे. स्कूल-कॉलेजों में पठन-पाठन के लिए जरूरी साधन-संसाधनों पर बल देंगे. उनके सदुपयोग को बढ़ावा देंगे.

कुल मिला कर यह छात्र-छात्राओं के हित में होगा. अंतत: इसका फायदा समाज व सरकार, दोनों को मिलना तय है. वैसे, सरकार व समाज, दोनों को ही यह पता है या पता होना चाहिए कि अनुदान के लिए कतार लगानेवाले संस्थानों में कई तो सरकारी रकम उड़ाने के लिए उगे होते हैं. उनका मकसद ही येन-केन-प्रकारेण पैसे हथियाना होता है. हालांकि समिति का प्रयास अच्छा है. इसे आगे बढ़ना चाहिए. वैसे, यह कोशिश कितनी दूर तक चलती दिखेगी, इसमें संदेह है. क्योंकि, इसके लिए जिस प्रतिबद्धता की जरूरत है, वह दिख नहीं रही. तभी तो डेडलाइन के पास पहुंचने तक एक चौथाई भी जांच कार्य नहीं हो सका है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें