।। पुष्यमित्र ।।
पंचायतनामा, रांची
आप सब को मुबारकबाद. आखिरकार हमें भी लोकपाल मिल ही गया. 40 परसेंट ही सही, लोकपाल तो लोकपाल है. कोई राह चलता उसे ‘जोकपाल’ कह देगा, तो क्या वह ‘जोकपाल’ हो जायेगा? क्या 40 परसेंट नंबर लानेवाला बच्चापास नहीं होता, आपके सौ परसेंट के चक्कर में क्या बच्चा जान दे दे.
देखिये, नंबर-वंबर फालतू चीज है. सरकार इन बातों को बखूबी समझती है, तभी तो स्कूली पढ़ाई से पास-फेल का झमेला ही खत्म कर दिया है और मैट्रिक-इंटर में ग्रेड से काम चला रही है. अब ये मत कहियेगा कि इस हिसाब से तो यह डी-ग्रेड लोकपाल हो गया. 40 परसेंट वाला बच्चा ही बड़ा होकर सबसे पावरफुल होता है. मेरे एक विशेषज्ञ मित्र इससे संबंधित एक शोध का जिक्र बार-बार करते हैं कि जो क्लास में टॉप करता है, वह साइंटिस्ट बनता है, जो 70-80 परसेंट वाला होता है, वह मैनेजर बन कर साइंटिस्टों तक पर राज करता है.
कुछ टॉपर आइएएस-आइपीएस भी बन जाते हैं, मगर उन पर राज तो 40 परसेंट वाला नेता ही करता है. हमारे संसद के प्रतिनिधियों को अच्छी तरह मालूम है कि 40 परसेंट वाले से ज्यादा पावरफुल कोई और हो ही नहीं सकती. यही सोच कर उन्होंने सबसे पावरफुल लोकपाल आपको दिया है. अब आप उनकी भावनाओं को समझ नहीं पा रहे तो यह आपका ही दोष है, गुरु..
खैर, जो भी हुआ है उससे बेहतर क्या हो सकता था. बताइए, एक मुलायम दुखी हैं और एक अरविंद नाराज हैं. बाकी सभी इससे खुश हैं. ऐसा मौका कभी-कभी भारतीय राजनीति में आता है. कांग्रेस-भाजपा मिले सुर मेरा-तुम्हारा गा रहे हैं और लालू, राहुल गांधी की जै-जैकार कर रहे हैं. सोचिए, बात-बात पर नाक-भौं सिकोड़नेवाली मायावती मैडम तक को यह लोकपाल भला लगता है, फिर ‘आप’ क्यों टसुए बहा रहे हैं. अच्छा लोकपाल तो वही होता है जो नेता के मन भाता है. देखिए मोदी जी को, अपनी पसंद का लोकायुक्त बनवा लिये.
हर किसी कीपसंद का ख्याल रखना चाहिए. हर किसी को सुकून देनेवाला फैसला ही तो लोकतंत्र की खासियत है. अब अगर मुलायम सिंह को परेशानी है, तो यूपी में ऐसा लोकायुक्त बनायें जो दारोगा को ज्यादा पावर न दे. अगर नहीं हो सके तो लालूजी से सीखिए, दारोगा लोग तो उनका जूता उठा कर पीछे-पीछे घूमता है.. और अरविंद केजरीवाल को परेशानी हो तो दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अपनी रुचि का लोकायुक्त बनवा लें. वह थोड़ा ज्यादा पावरफुल हो, जरूरत पड़ने पर पीएम का मफलर पकड़ कर भी खींच सके.
बहरहाल, अपन तो बहुत खुश हैं. सोचते हैं आज ही से बिना लाइसेंस गाड़ी चलाना शुरू कर दें और बिना टिकट रेल पर चढ़ने लगें. अगर इस दौरान कोई दारोगा या कोई टीटी पैसा मांगे, तो सीधे लोकपाल के पास रिकमेंड कर देंगे. भाई, लोकपाल होने से इतनी सुविधा तो होनी ही चाहिए.