इस हकीकत से कोई इनकार नहीं कर सकता कि चपरासी से लेकर राष्ट्रपति के पद तक पहुंचाने में एक शिक्षक की भूमिका अहम होती है. शिक्षक इनसान के अंदर बुनियादी एवं उच्च शिक्षा के बीज बो कर जिंदगी जीने का सलीका सिखाते हैं.
पुराने जमाने में गुरु अपने आश्रम में, पेड़ के नीचे या जंगल में अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान करते थे. गुरु के अभाव में एकलव्य ने उनकी मूर्ति बनाकर उससे ही प्रेरणा प्राप्त करके सर्वश्रेष्ठ तीरंदाज बन कर खुद को प्रस्तुत किया था. औश्र मुद्रा कौन सी बात है, उसने तो अपना अंगूठा काटकर गुरु दक्षिणा चुकाया. कहने का मतलब यह है कि शिक्षक को शिक्षा प्रदान करने के बदले यदि शरीर का कोई अंग काअ कर उसका शुल्क चुकाया जाए तो भी कम है. पारा शिक्षकों की मांगों को सरकार मानें और जल्द ही एक सर्वमान्य समझौते की पहल करे.
जमीर उद्दीन अंसारी, करियावां, कोडरमा