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नवाज की कसम

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि पठानकोट स्थित भारतीय सैन्य ठिकाने पर हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत की प्रक्रिया को बाधित किया है. उन्होंने इस हमले की जांच जल्दी पूरा कर उसे सार्वजनिक करने का ठोस भरोसा भी दिलाया है. शरीफ का यह बयान निश्चित रूप से […]

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि पठानकोट स्थित भारतीय सैन्य ठिकाने पर हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत की प्रक्रिया को बाधित किया है. उन्होंने इस हमले की जांच जल्दी पूरा कर उसे सार्वजनिक करने का ठोस भरोसा भी दिलाया है. शरीफ का यह बयान निश्चित रूप से सराहनीय है. उन्होंने इस बात को स्वीकारा है कि अगर आतंकी हमले में पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल हुआ है, तो पूरे प्रकरण की तह तक पहुंचने की उनकी जिम्मेवारी है.

पिछले कई वर्षों से भारत अपने यहां होनेवाली आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान में सक्रिय सरगनाओं और संगठनों की भूमिका के बारे में पाकिस्तान को जानकारी देता रहा है, लेकिन आम तौर पर पाकिस्तानी नेतृत्व का रवैया या तो नकारात्मक रहा है या फिर उन्होंने जांच और कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति ही की है. लेकिन पठानकोट हमले पर नवाज शरीफ का रुख इस बात की ओर इंगित करता है कि पाकिस्तान अब सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो रहा है. ऐसा करना न सिर्फ भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिहाज से, बल्कि पाकिस्तान के भीतर हावी आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए भी जरूरी है. पठानकोट की घटना के कुछ दिन बाद ही पेशावर में बाचा खान विश्वविद्यालय पर आतंकियों ने हमला कर 21 लोगों की हत्या कर दी थी जिनमें कई छात्र और शिक्षक शामिल थे. पठानकोट हमले के तुरंत बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी नवाज शरीफ से इसकी जांच करने और पारदर्शी रवैया अपनाने को कहा था. भारत ने भी इस संबंध में उन्हें पूरा सहयोग का आश्वासन दिया था. नवाज शरीफ ने भी बताया है कि भारत से उन्हें अनेक सबूत मिले हैं.

निश्चित रूप से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की चुनौतियां गंभीर हैं क्योंकि भारत-विरोधी हिंसक गतिविधियों को शह देने में पाकिस्तानी सेना और राजनीति का एक हिस्सा हमेशा आगे रहा है तथा इन्हीं तत्वों के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक और कूटनीतिक प्रयासों को भी झटका लगता रहा है.

स्वयं नवाज शरीफ भी आतंकवाद विरोधी अपनी नीति के कारण पाकिस्तान के भीतर आलोचना झेल रहे हैं. ऐसे में पठानकोट हमले की सही जांच उनकी साख के लिए भी बहुत जरूरी है. इस कोशिश में भारत सकारात्मक सहयोग कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तानके राजनीतिक नेतृत्व से उम्मीदें हैं. अब सारा दारोमदार पाकिस्तानी सरकार पर है. आशा करनी चाहिए कि नवाज शरीफ कट्टरपंथी और भारत-विरोधी तत्वों के दबाव से ऊपर उठ कर आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगा सकेंगे.

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