मैं अविलंब घोषणा करता कि मैं यह बोझ देश और जनता के लिए केवल एक बार ही उठा रहा हूं और इस अवधि में वह सबकुछ दे दूंगा जो मेरे पास देश और जनता को देने के लिए है. उसके बाद मैं स्वत: अपने पारिवारिक जीवन में लौट जाऊंगा. क्योंकि पहला राजनीतिक कार्यकाल ही परमार्थ एवं शिष्टाचार के लिए होता है. बाद के सारे कार्यकाल स्वार्थ एवं भ्रष्टाचार के लिए होते हैं. पद ग्रहण करने के बाद मैं संविधान में संशोधन के लिए निम्नलिखित प्रस्ताव लाता :
1. संसद से कानून केवल देशहित व जनहित में ही बनेंगे, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं. जरूरत पड़ी तो राजनेताओं की सुख-सुविधाओं की कटौतीवाले कानून ही बनेंगे.
2. 35-65 वर्ष आयु सीमा के प्रत्याशी ही विधानसभा, संसद में चुने जाने के योग्य माने जायेंगे. प्रत्याशी को अपने लक्ष्य स्पष्ट करने होंगे. वहीं पारिवारिक पार्टियों के लिए कोई जगह नहीं होगी.
3. लोकसभा चुनाव में केवल राष्ट्रीय पार्टियां ही शामिल होंगी. राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का कार्यकाल दो साल का रहेगा और वह अधिकतम दो कार्यकाल तक ही अध्यक्ष बना रह सकता है.
4. उसे यह भी घोषणा करनी होगी कि उसका जीवन सादगीभरा है और अपने कार्यकाल में अपने आचरण के प्रति वह सदैव सचेत रहेगा.
5. देश का कोई भी सुयोग्य नागरिक केवल तीन बार ही चुनाव प्रत्याशी होगा. विधायक/सांसद के रूप में उसे केवल एक ही कार्यकाल मिलेगा.
6. प्रधानमंत्री के दावेदार की आयु सीमा 45-65 वर्ष की होगी. वह उच्चतम बौद्धिक स्तरवाला कर्मठ व्यक्ति होगा, जिसमें आत्मसम्मान और इच्छाशक्ति कूट-कूट कर भरी हो.
पीएन सिंह, सेक्टर-6ए, बोकारो स्टील सिटी