इन दिनों अखबारों में ऐसी-ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि मन खिन्न हो जाता है. तरुण तेजपाल और जस्टिस एके गांगुली जैसे प्रतिष्ठित लोगों द्वारा अपने मातहत कार्य करनेवाली महिलाओं के यौन शोषण की खबरें, हर पृष्ठ पर दुष्कर्म या यौन उत्पीड़न की खबरें, चोरी, डकैती, लूट-पाट की खबरें, दुर्घटनाओं में लोगों की हृदय- विदारक मौत की खबरें, राजनेताओं की एक-दूसरे के प्रति अमर्यादित बयानबाजी और भ्रष्टाचार की खबरें, क्या-क्या गिनाऊं?
जेल की हवा खाना साधु-महात्मा, मंत्री-संतरी, सबके लिए तो मानो फैशन बन गया है. बाजारवाद हर जगह व्याप्त है. वितृष्णा सी हो आती है. कभी-कभार. कुछ अच्छी खबरें पढ़ती हूं तो थोड़ा संतोष मिलता है हृदय को. हाल ही में पढ़ा कि सीबीएसइ बोर्ड द्वारा विद्यार्थियों को अच्छे आचरण पर भी अंक देने का निश्चय किया गया है. यह वाकई बड़ी अच्छी खबर है. आज के विद्यार्थीगण जैसे-तैसे भी अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए व्याकुल रहते हैं. इसी कारण अब उदंड और उच्छृंखल छात्र-छात्रएं भी अच्छे अंक प्राप्त करने के लालच में दिखावे के लिए ही सही, विद्यालय में अच्छे आचरण करेंगे और उन्हें अच्छे आचरण की धीरे-धीरे आदत हो जायेगी. इससे उनके चरित्र में अवश्य सुधार आयेगा.
हर परिवार में बच्चों में अच्छी आदतें डालने पर जोर देना चाहिए. विद्यालय में शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह दायित्व है. अच्छे मनुष्य सदाचार से बनते हैं. हमें बुरे कर्मो से डरना चाहिए. जाहिर है कि अगर अच्छा आचरण, अच्छे कर्म और अनुशासन हर कोई अपनाएगा तो अपने आप अच्छे समाज का निर्माण होगा. तब बुरी खबरों की संख्या खुद-ब-खुद कम हो जायेगी.
अवधेश कुमारी वर्मा, डोरंडा, रांची