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जीवन की ऊहापोह के बीच
नये वर्ष के लिए एक सोच, जिसे बतौर विचार विकसित किया जा सकता है और यह कोई नयी बात भी नहीं है, यह हो सकता है कि बीते हुए दिनों के आधार पर अनुभव निर्धारित किये जायें. पिछले वर्ष संसद में अधिकांश समय तक भूमिकाओं की अदला-बदली से अजीब स्थिति बनी रही, जिससे पड़नेवाले रक्ताघाती […]
नये वर्ष के लिए एक सोच, जिसे बतौर विचार विकसित किया जा सकता है और यह कोई नयी बात भी नहीं है, यह हो सकता है कि बीते हुए दिनों के आधार पर अनुभव निर्धारित किये जायें.
पिछले वर्ष संसद में अधिकांश समय तक भूमिकाओं की अदला-बदली से अजीब स्थिति बनी रही, जिससे पड़नेवाले रक्ताघाती दौरे ने इस संस्था के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है. यह मानना तर्कपूर्ण है कि कम अवधि के सत्र रखने में सरकार का अपना स्वार्थ हो सकता है, ताकि बहुत थोड़ी बहस के बाद ही विधेयक पारित हो जायें. सरकारों के लिए कम-से-कम पड़ताल और बच निकलने के अधिक-से-अधिक मौके की चाह स्वाभाविक है. लेकिन, ऐसा होने की जगह विपक्षी कांग्रेस ही इस बात पर अड़ी हुई थी कि संसद द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले वे ढेर सारे अवसर बरबाद हो जाएं, जो जनमत के दबाव को प्रतिबिंबित करते हैं तथा जो सरकार की अनिच्छुक फाइलों से जानकारियां बाहर निकालने का तंत्र होते हैं. कांग्रेस ने लगातार शोर-गुल से प्रश्नकाल को तबाह किया. कुछ विधेयकों को पारित करने में जब कांग्रेस ने सहयोग भी दिया, तो वह जनता की प्रतिक्रिया के डर के कारण हुआ था और उसने इन पर कोई खास चर्चा भी नहीं की. पूरे प्रकरण में कांग्रेस का अलग-थलग पड़ जाना महत्वपूर्ण बात रही. अन्य सभी विपक्षी पार्टियों ने खुद को ऐसी हरकतों से दूर कर लिया था. क्या इन सबसे भविष्य में इस रवैये में कोई फर्क आयेगा? इस बारे में कोई अनुमान लगाना मुश्किल है कि अतार्किक रणनीति का रुख क्या हो सकता है.
नये वर्ष के लिए एक सोच, जिसे बतौर विचार विकसित किया जा सकता है और यह कोई नयी बात भी नहीं है, यह हो सकता है कि बीते हुए दिनों के आधार पर अनुभव निर्धारित किये जायें. फ्रांसीसी दार्शनिक, तार्किक और क्रांतिकारी वाल्तेयर ईश्वर के प्रति समर्पण के लिए विख्यात नहीं थे, लेकिन वे आसमान की ओर सिर उठा कर प्रभावशाली ढंग से कुछ कह सकते थे. एक बार उन्होंने ईश्वर का आह्वान करते हुए प्रार्थना की ‘हे ईश्वर, मेरे शत्रुओं को हास्यास्पद बना दे.’ सार्वजनिक जीवन की ऊहापोह में इससे अधिक क्या दुआ की जा सकती है?
कुछ अन्य बहसों की तरह मौके के मुनासिब नाराजगी गढ़ी जा सकती है. लेकिन, यह सिर्फ रात के भोजन के आखिर के लिए ही निर्धारित है- स्वादिष्ट, अनावश्यक, लेकिन अच्छे भोजन का एक जरूरी हिस्सा. साहित्यिक उल्लेखवाले क्रिसमस क्रैकर का क्या हुआ? जैसा कि उपसर्ग से निर्दिष्ट है, यह महज क्षणिक विस्फोट और फिर बुझ जानेवाली वस्तु नहीं थी. विलक्षण प्रश्न और अप्रत्याशित उत्तर के रूप में यह एक बौद्धिक दंभ था, जिसमें सामान्य से अधिक अर्थ निहित होते थे. इसने सिखाते हुए आनंदित किया और सूचना को बोरियत से और बुरी नैतिकता से बचाया. पहले के अखबार कला और किताबों को अच्छी-खासी जगह देते थे, जो नये साल का उपहार बन जाते थे. ब्रिटिश अखबार अब भी इस जादुई शरारत पर समय और ध्यान देते हैं. भारत से इनका गायब हो जाना दुखद है. आशावादी यह कह सकते हैं कि क्रैकर अब बढ़ कर क्विज बन गया है और वह अब सभी मौसमों की चीज है, लेकिन अच्छी यादों का अपना मतलब है. मैं एक उदाहरण देता हूं. कौन पीसा की झुकती मीनार को सीधा करना चाहता था? मुसोलिनी. या फिर यह कि लोकतंत्र के बिना सत्ता पागलपन है.
क्रिसमस जन्म से संबद्ध है, एक मसीहा का जन्म और जरूरतमंदों के लिए दया तथा उपकार की भावना. वर्ष 2015 के उल्लेखनीय ईसाई प्रिसिला चान और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग रहे, जिन्होंने पहले बच्चे के जन्म पर अपनी अकूत संपत्ति का 99 फीसदी समाजसेवा से जुड़ी पहलों को दान करने का निर्णय किया. यह संपत्ति अविश्वसनीय है, करीब 45 बिलियन डॉलर. स्पष्ट कहूं तो मुझे बिलियन का पूरा हिसाब पता नहीं है, इसमें अगर 45 जोड़ दें, तो यह एक छोटे देश के सालाना राजस्व के बराबर हो सकता है. प्रिसिला और मार्क अभी युवा हैं और अभी वे दूसरे जीवन के लिए जीवन बीमा कराने का लोभ नहीं रख सकते हैं. वे अमेरिका के नये और पुराने खरबपतियों में अकेले भी नहीं हैं. माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के पास भी 44 बिलियन डॉलर की समाजसेवी संस्था है. अन्य देशों के अलावा भारत में भी उनका काम शानदार रहा है. भारत के पास कब ऐसे खरबपति होंगे?
बीते साल की उल्लेखनीय पंक्ति हॉलीवुड के पुराने स्टार बर्ट रेनॉल्ड्स की प्रकाशित जीवनी में उद्धृत है. वे उस दिन को याद करते हैं, जिस दिन ग्लैमरस स्टार जोआन क्रॉवफोर्ड की मृत्यु हुई थी. उस शाम आयोजित एक पार्टी में क्रॉवफोर्ड की धुर प्रतिद्वंद्वी बेट्टी डेविस भी आमंत्रित थीं. डेविस ने मौजूद पत्रकारों से कहा, ‘आपको मृत व्यक्ति के बारे में खराब बातें नहीं कहनी चाहिए. जोआन क्रॉवफोर्ड की मृत्यु हो गयी है. अच्छा!’
एमजे अकबर
राज्यसभा सांसद, भाजपा
delhi@prabhatkhabar.in
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