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दिखावे की राजनीति
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस माह के मध्य में यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि विभिन्न आरोपों में फंसे उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआइ की छापेमारी का असली मकसद दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलें खंगालना था, क्योंकि उसमें अरुण जेटली सीधे तौर […]
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस माह के मध्य में यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि विभिन्न आरोपों में फंसे उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआइ की छापेमारी का असली मकसद दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलें खंगालना था, क्योंकि उसमें अरुण जेटली सीधे तौर पर फंस रहे हैं.
इस मामले पर संसद में भी हंगामा हुआ. लेकिन, बीते दिन आयी जांच समिति की रिपोर्ट में जेटली पर सीधे तौर पर कोई आरोप न होना बताता है कि विरोधी नेताओं पर कीचड़ उछालने के मामले में केजरीवाल कितने ईमानदार हैं. केजरीवाल सरकार की ओर से ही गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने 247 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में डीडीसीए द्वारा कराये गये कई कार्यों में घोर अनियमितताओं की बात तो मानी है, लेकिन उसे जेटली के खिलाफ सीधे आरोप लगाने लायक कोई सुबूत नहीं मिले.
जबकि केजरीवाल ने कहा था कि समिति की जांच में जेटली फंस रहे हैं, इसलिए मोदी सरकार बौखला गयी है और सीबीआइ का गलत इस्तेमाल कर रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ सच्चे मन से कदम उठाना एक बात है और सिर्फ बयानों या दिखावे की राजनीति के जरिये सुर्खियां बटोरना दूसरी बात. पिछले दिनों ऑटो चालकों की शिकायतों के आधार पर तीन परिवहन अधिकारियों को निलंबित कर केजरीवाल ने खूब सुर्खियां बटोरी थी.
लेकिन, नये ऑटो परमिट जारी करने में गड़बड़ियों से जुड़ी हालिया खबरें बताती हैं कि दिल्ली सरकार के परिवहन कार्यालय अब भी भ्रष्टाचार का अड्डा बने हुए हैं और वहां अब भी दलालों के जरिये तथा लेन-देन के आधार पर काम हो रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार के कदम कितने दिखावटी हैं, इसकी एक मिसाल भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज कराने के लिए शुरू की गयी दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन भी है.
यह हेल्पलाइन नंबर लांच करते वक्त कहा गया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह जनता का सशक्त हथियार बनेगा. अब आरटीआइ के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि पिछले जून से अब तक इस नंबर पर करीब डेढ़ लाख शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन किसी भी शिकायत पर केस दर्ज नहीं हुआ है. दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा गठित एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) भी दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी खींचतान के चलते निष्क्रिय बना हुआ है.
आरोप-प्रत्यारोप और खोखले बयानों के जरिये भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का दिखावा जारी है, जबकि दिल्ली की जनता ‘भ्रष्टाचार मुक्त शासन’ का वादा पूरा होने का इंतजार अब भी कर रही है.
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