केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने इस कथन में बहुत चालाकी दिखायी है कि आगामी लोकसभा चुनाव कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच महाभारत युद्ध की तरह होगा. वास्तव में उनके कहने का आशय यह है कि यह लड़ाई धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता के बीच होगी.
धर्मनिरपेक्षता का अलमबरदार कांग्रेस को बताने से उस पर भी कई उंगलियां उठने लगती हैं और लोग कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने लगते हैं और तरह-तरह के उदाहरण देकर कांग्रेस को भी सांप्रदायिक तथा मुसलिम वोट जुगाड़नेवाला बताने लगते हैं. कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई बताने से वह तीखापन नहीं आता, जो कांग्रेस बनाम आरएसएस में आता है. बहुत सारे अल्पसंख्यक संगठन अब भाजपा को अछूत नहीं मानते, इसलिए उन्हें आरएसएस का डर दिखाया जा रहा है. ललन प्रसाद वर्मा, घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम